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मेदांता अस्पताल का लाइसेंस 7 दिनों के लिए सस्पेंड, डेंगू के इलाज का बनाया 5 लाख 88 हज़ार का बिल

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डेंगू पीड़ित बच्चे के इलाज में अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक दवाओं के मूल्य वसूलने के आरोप में स्वास्थ्य विभाग ने मेदांता अस्पताल का फार्मेसी लाइसेंस 7 दिन के लिए रद कर दिया है। बीते SAAL साल डेंगू संक्रमण की वजह से मारे गए 7 साल के लड़के शौर्य प्रताप के पिता की ओवरचार्जिंग शिकायत पर जांच के दौरान मेडिकल बोर्ड ने पाया कि चार्ज लेने में ‘उल्लंघन’ हुआ है, जिसके बाद जिला ड्रग कंट्रोल ऑफिसर ने यह कार्रवाई की। इससे पहले आद्या की मौत मामले में फोर्टिस अस्पताल का फार्मेसी लाइसेंस रद किया गया था।

गोपेंद्र ¨सह परमार ने अपने 7 वर्षीय बेटे शौर्य प्रताप की मौत के बाद मेदांता अस्पताल के डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराते हुए पुलिस में शिकायत देने के साथ प्रदेश व केंद्र सरकार को शिकायत दी थी। जिसमें बताया गया कि उनके बेटे शौर्य प्रताप ¨सह को 25 अक्टूबर की शाम तेज बुखार आया था। जिसे मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में 29 अक्टूबर की रात दाखिल कराया था। परमार का आरोप है कि 15 नवंबर तक डाक्टर यही कहते रहे कि बच्चा ठीक हो जाएगा लेकिन स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ती चली गई।

रिश्तेदारों से लेकर जानकारों तक से 15 लाख 88 हजार 434 रुपये उधार लेकर अस्पताल में जमा कराए लेकिन फिर भी बेटे की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। 16 नवंबर को कहा गया कि बच्चे की हालत ठीक नहीं है। आप आगे खर्च नहीं उठा सकते इसलिए किसी सरकारी अस्पताल में चले जाओ। 20 नवंबर की रात वह दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल ले गए जहां पर 22 नवंबर को शौर्य की मौत हो थी। हालांकि यह फैसला मेडिकल बोर्ड के 5 मार्च को रिपोर्ट जमा करने के करीब 1 महीने बाद आई है।

एक हफ्ते पहले ही शौर्य के पिता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की थी कि उन्हें मेदांता से पूरा पैसा (15.88 लाख रुपए) भरपाई के तौर पर वापस मिल गया है, जो कि उनके बेटे के इलाज पर खर्च हुआ था और बदले में उन्होंने (शौर्य के पिता ने) वादा किया कि वे अस्पताल के खिलाफ कोई कानूनी केस नहीं करेंगे। जांच के मुताबिक, मेदांता अस्पताल ने दवाओं के लिए ज्यादा पैसा वसूले और सही तरीके से बिल, रिकॉर्ड्स को संभाल कर नहीं रखा।

वरिष्ठ ड्रग अधिकारी सुनील चौधरी ने कहा, शौर्य प्रताप केस में उल्लंघन का मामला सामने आया, जिसके बाद हमने अस्पताल के फार्मेसी का लाइसेंस रद्द कर दिया है। अस्पताल ने हमारे नोटिस का सही जवाब जमा नहीं कराया, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।

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