नीलोखेडी : गर्वनमेंट प्रैस आफ इंडिया के कर्मचारी का एक शिष्टमण्डल अपनी समस्याओ को लेकर करनाल के सांसद अश्वनी चोपडा से उनके कार्यालय दिल्ली में मुलाकात की और और अपनी मांगों का एक ज्ञापन शहरी विकास निगम के केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में लिखा है कि उनको गर्वनमेंट प्रैस आफ इंडिया में नौकरी करते 10 साल हो चुके है लेकिन उनको बिना कोई नोटिस दिए नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। जबकि उन्होने अपने 2 साल के वैरिफेकेशन के सभी मापदण्डों को पास किया है। उनकी 10 साल की नौकरी दौरान कोई भी दाग नही है जबकि आरोपित अधिकारी रिटार्ड के बाद भी विभाग में कार्यरत है। किसी और की सजा उनके परिवार को ही क्यों दी जा रही जबकि दोषी अधिकारी विभाग में नौकरी कर रहे है ।
आखिर उनका क्या कसूर है, जो उनको बर्खास्त कर दिया गया है। उन्होने लिखा है कि 8 जनवरी की सुबह को भारत सरकार मुद्रणालय गर्वनमैंट प्रैस आफ इंडिया में काम करने वाले 35 कर्मचारियों की सुबह उनके के लिए कायमत का दिन था। सुबह 6:30 बजे डयूटी करने गए कर्मचारियों को गेट पर ही रोक दिया और बिना कोई कारण बताए पुलिस ने उन्हे अंदर नही घुसने दिया। कर्मचारियों को रोकने के लिए प्रैस के बाहर पूरे बंदोबस्त के साथ पुलिस दल मौजूद था। गर्वनमेंट प्रैस आफ इंडिया में 10 साल की नौकरी करने बाद बिना कोई नोटिस दिए पुलिस दल ने 35 कर्मचारियों को डयूटी पर जाने से रोक दिया। सभी कर्मचारी पिछले 10 साल से वहां कार्य कर रहे थे, लेकिन अब उन्हे अपने परिवार के साथ दर दर काम की तलाश में भटकना पडेगा और उम्र के लिहाज से किसी भी जगह पर नौकरी मिल पाना मुशिकल हो जाएगा। उनकी कागजी भर्ती प्रक्रिया फर्जी नही है।
जबकि इस प्रक्रिया में अधिकारियों का दोष है। भर्ती के दौरान उन्होने अपने सभी प्रक्रिया पूरी की थी तभी तो उन्हे काल लेटर आया तथा और उन्होने डयूटी को ज्वाइन किया था। उनका कहना है भर्ती के दौरान कुछ कर्मचारी समय पर न पहुंचने के कारण ज्वाइन नही सके थे । उन कर्मचारियों के साथ साथ 200 कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया, सरकार द्वारा उनकी सजा 200 कर्मचारियों को क्यों दी जा रही है जबकि दोषी अधिकारियों को कोई जांच नही की गई वे अधिकारी अभी रिटार्ड होने के बाद नौकरी पर तैनात है। कर्मचारियों के अनुसार अपने 2 साल के वैरिफेशन के दौरान सभी मांपदण्डों को पूरा किया था और जांच में निष्पक्ष हो कर निकले थे। उनका कहना है कि तीन प्रैसों के कर्मचारियों को नौकरी से बाहर किया गया जबकि फरीदाबाद व नासिक के प्रैस के कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नही की गई। जबकि दिल्ली कैट, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने जांच में सही पाए जाने पर संबधित मंत्रालय से विचार करने को कहा था। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड मेडीकल, बच्चों की शिक्षा का खर्च, एलटी सी भत्ता, आवसीय सुविधा इत्यादि सब कुछ मिलने के बावजूद और 2 वर्षीय सरकार की जांच प्रक्रिया भी निष्पक्ष थी।
उन्होने लिखा है कि 35 कर्मचारियो को काम से बर्खास्त करने के बाद कर्मचारियों को अपने परिवार का पालन पोषण करने में दिक्कत आ रही है कर्मचारियों ने पहले भी लोगों से ब्याज पर पैसा उठाकर अपने बच्चों की पढाई करवा रहे है। उनमें से एक परिवार ऐसा है कि उनके दो बच्चियों को आंखों से दिखाई नही देता उनके माता पिता उनके इलाज के के लिए बहुत बडे ब्याज पर पैसा उठा रखा अब उनकी उसकी नौकरी जाने के बाद अपने परिवार का पालन पोषण व बच्चों की पढाई के साथ उनके इलाज का पैसा कहा से जुटा पाएगा। सांसद अश्वनी चोपडा ने कर्मचारियों को हरतरह से सहयोग करने का अश्वासन दिया।
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– राजिन्द्र मिडडा