कांग्रेस के पूर्व सांसद एवं सीडब्ल्यूसी के सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, कैग रिपोर्ट के बाद गठबंधन सरकार के नये खनन मंत्री का कबूलनामा कि प्रदेश में अवैध खनन और ओवरलोडिंग का खुला खेल चल रहा है। इससे स्पष्ट है कि हरियाणा मे बड़े पैमाने पर माइनिंग घोटाला हो रहा है। उन्होंने कहा कि यमुना पर लूट मची है और ‘ईमानदार’ अपनी जेबें भर रहे हैं। पूर्व सांसद उचाना के पालवां गांव में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस मौके पर सफीदों विधायक सुभाष देशवाल,जुलाना से पार्टी के प्रत्याशी रहे प्रो.धर्मेंद्र ढुल, उचाना से पार्टी प्रत्याशी रहे बलराम कटवाल, सुरेश गोयत झांझ,जिला पार्षद सत्तपाल सत्तु, रिषिपाल हेबतपूर, जगबीर ढिगाना, विजेन्द्र ढाटरथ, सतपाल श्योकंद, आजाद श्योकंद, सुरेश श्योकंद आदि मौजूद थे।
दीपेन्द्र हुड्डा ने सीधा सरकार पर सवाल दागते हुए कहा कि यमुना से अरावली, डाडम तक क्या इतना बड़ा घोटाला राजनैतिक सरंक्षण के बिना सम्भव है? हरियाणा की गठबंधन सरकार को घोटालों पर घेरते हुए उन्होंने कहा कि वे पहले से इस बात को कहते आये हैं कि गठबंधन सरकार दर्जनों घपले-घोटालों में घिरी हुई है और ये बात पूरे प्रदेश को पता चल चुकी है। रोज सामने आ रहे घोटालों पर उन्होंने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि घोटाले, धांधली, रिश्वतखोरी, फर्जीवाड़े, पेपर लीक, अपराधियों को संरक्षण का पर्याय बनी मौजूदा गठबंधन सरकार ईमानदारी का चोला पहनकर हरियाणा के लोगों के साथ विश्वासघात कर रही है।
उन्होंने कहा कि सभी घोटालों की निष्पक्ष जांच के लिये जरुरी है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से इनकी जांच करायी जाए। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि ये कोई राजनैतिक मुद्दा नहीं है बल्कि पहले देश के सबसे बड़ी अदालत ने इस बारे में टिप्पणी की, उसके बाद विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश के खजाने को माइनिंग माफिया ने 1476 करोड़ का चूना लगाया है। साथ ही ये भी बताया है कि ठेकेदारों के प्रति सरकार का रवैया बेहद ढुलमुल रहा है। कई जगह खनन माफिया ने अवैध खनन करके नदी का बहाव तक बदल दिया है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी कार्यप्रणाली पर उंगली उठाते हुए बताया कि खदान और खनिज विकास एवं पुनर्वास निधि में 49 करोड़ 30 लाख रुपये नहीं जमा करवाने वाले 48 ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। टेंडर राशि जमा नहीं करवाने वाले 84 में से 69 ठेकेदारों के खिलाफ भी कोई कदम नहीं उठाया गया। इन ठेकेदारों पर बकाया 347 करोड़ रुपये नहीं वसूले गए। खनन माफियाओं ने आवंटित स्थानों के बजाए मनमाने तरीके से दूसरी जगहों पर खनन किया। इससे साफ़ है कि बेलगाम खनन माफियाओं को राजनैतिक सरंक्षण मिल रहा है।