राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों से वसूल किए जाने वाले पर्यावरण मुआवजे के निर्धारण के लिए तंत्र की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने कहा कि मुआवजे का आकलन तेजी से होना चाहिए और प्रदूषण से पर्यावरण क्षति होने के मामले में दंडात्मक कार्रवाई में कोई विलंब नहीं होनी चाहिए।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, ‘‘एचएसपीसीबी अपने तंत्र की समीक्षा करे और एक ऐसा तंत्र विकसित करे जिसमें प्रदूषण का पता चलते ही आकलन हो सके। यदि अंतिम क्षतिपूर्ति के लिए समय लगता है तो अंतरिम क्षतिपूर्ति तत्काल दाखिल की जानी चाहिए।’’
एनजीटी बंधुआ मुक्ति मोर्चा की ओर से दायर एक अर्जी पर सुनवायी कर रहा था जिसमें फरीदाबाद के मनगर गांव क्षेत्र में रेडी मिक्स कंक्रीट संयंत्र, सेरेमिक संयंत्र और भूमिगत जल निकासी संयंत्र से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
अधिकरण ने इससे पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक रिपोर्ट मांगी थी। पीठ में प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि प्रदूषण हो रहा है और एनजीटी ने पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूली के बारे में एक हलफनामा मांगा।