नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने जेबीटी भर्ती घोटाले में तिहाड़ जेल में सजा काट रहे इंडियन नेशनल लोकदल सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला की रिहाई याचिका में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए 2 सप्ताह में फैसला करने का निर्देश दिल्ली सरकार को दिया है। जबकि दिल्ली सरकार की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि फैसला उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेज दिया है।
अब उन्हें ही इस मामले में फैसला करना है। इसके बाद जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने इस मामले की अगली सुनवाई 12 अप्रैल तय कर दी। ओम प्रकाश चौटाला की ओर से उम्र और दिव्यांगता के आधार पर लगाई याचिका के तहत जेल से रिहाई की मांग की गई है। बता दें कि सजा में राहत के लिए उन्होंने तिहाड़ जेल प्रशासन के पास इससे पहले याचिका लगाई थी।
जेल प्रशासन ने मामला दिल्ली सरकार की कमेटी को भेज दिया था। दिल्ली सरकार से चौटाला को मायूसी ही हाथ लगी, क्योंकि चौटाला को रिहाई के लिए अयोग्य बताते हुए मामला दिल्ली के एलजी के पास भेज दिया गया। एलजी ने मामला दिल्ली सरकार को पुनर्विचार के लिए भेजा। उसके बाद ये मामला हाईकोर्ट में है।
सरकारी पॉलिसी अनुसार पूर्व सीएम को दे सकती है सजा में छूट
पिछली सुनवाई में एक जज ने यह कहते हुए मामले से खुद को अलग कर लिया था कि वे पहले चौटाला के वकील रह चुके हैं। दरअसल, ओम प्रकाश चौटाला को जनवरी, 2013 में जेबीटी भर्ती घोटाले में सजा हुई थी। प्रिवेंशन ऑफ करप्शन में सात साल और साजिश में दस साल की सजा मिली है। सरकार की पाॅलिसी के अनुसार स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर कैदियों को एक-एक माह की सजा में छूट दी जाती है।
छह साल में एक साल की छूट उनकी हो गई है। इस हिसाब से सात साल की सजा उनकी पूरी हो चुकी है, जबकि साजिश जैसे मामले में सरकार ने पॉलिसी बनाई है कि यदि कोई कैदी 60 साल से ज्यादा उम्र का है या दिव्यांग है और आधी सजा काट चुका है तो उसे रिहा किया जा सकता है। इसी आधार पर रिहाई की याचिका उनकी ओर से हाई कोर्ट में लगाई गई है।