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प्लॉट अलॉटमेंट केस : स्‍पेशल कोर्ट में हुड्डा और मोतीलाल वोरा को मिली जमानत

भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा को ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ (एजेएल) भूमि आवंटन मामले में एक अदालत ने बुधवार को अंतरिम जमानत दे दी।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा को ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ (एजेएल) भूमि आवंटन मामले में एक अदालत ने बुधवार को अंतरिम जमानत दे दी। कांग्रेस नेताओं को जमानत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय की विशेष अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने मामले में दोनों नेताओं की नियमित जमानत याचिका पर केंद्रीय एजेंसी का रुख जानने के लिए उसे नोटिस जारी किया। 
हुड्डा की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने बताया कि अदालत ने दोनों कांग्रेस नेताओं की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के लिए छह नवंबर की तारीख तय की है। हुड्डा और वोरा को पांच-पांच लाख रुपये के मुचलके पर अंतरिम जमानत दी गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने अगस्त 2019 में अपना पहला आरोप पत्र दायर करके वोरा और हुड्डा पर पंचकूला में एजेएल को भूमि आवंटन में अनियमितता का इल्ज़ाम लगाया था। 

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केंद्रीय जांच एजेंसी ने पहले बताया था कि अभियोजन की शिकायत चंडीगढ़ के नज़दीक पंचकूला में धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के मामले देखने वाली विशेष अदालत में दायर की गई थी। एजेंसी ने अपने पहले आरोप पत्र में वोरा, हुड्डा और एजेएल को नामजद किया था और आरोप लगाया था कि वे अपराध से प्राप्त धन को हासिल करने और उसे रखने की प्रक्रिया और गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल थे। 
वोरा राज्यसभा के सदस्य हैं और कांग्रेस के महासचिव हैं। हुड्डा 2005 से 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे। धनशोधन का मामला पंचकूला स्थित एक प्लॉट के फिर से आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। आरोप है कि तत्कालीन हुड्डा सरकार ने इस प्लॉट को एजेएल को फिर से आवंटित करने में कथित रूप से अनियमितता की। 
प्रवर्तन निदेशालय इस भूखंड को पहले ही कुर्क कर चुका है जिसकी अनुमानित कीमत 64.93 करोड़ रुपये है। इस मामले में हरियाणा में भाजपा सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी जिसके आधार पर 2016 में ईडी ने धनशोधन की आपराधिक शिकायत दर्ज की। सीबीआई इस मामले में पहले ही हुड्डा और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर चुकी है। यह प्लॉट 1982 में एजेएल को आवंटित हुआ था। 

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