रेवाड़ी : श्रीनगर के पुलवामा पिगलीना नामक स्थान पर सेना द्वारा चलाए गए कोरडन आपरेशन के दौरान आतंकवादियों से लोहा लेते हुए रेवाड़ी जिले के गांव राजगढ़ निवासी सिपाही हरी सिंह शहीद हो गया। 55-राष्ट्रीय राइफल का जवान हरी सिंह इन दिनों श्रीनगर में तैनात था। इस ऑपरेशन में 55-आरआर बटालिया के एक अधिकारी व हरी सिंह समेत चार जवान वीर गति को प्राप्त हुए। जवान के शहीद होने की सूचना जैसे ही गांव पहुंची तो परिवार के साथ-साथ पूरे गांव में शौक की लहर दौड़ गई।
हरी सिंह तीन बहनों का इकलौता भाई था तथा दो वर्ष पूर्व ही उसकी शादी हुई थी। शहीद हरी सिंह के पिता भी आर्मी में ही थे। शहीद का शव मंगलवार को गांव पहुंचेगा। जवान हरी सिंह के शहीद होने की सूचना उनके परिवारजनों को मिली तो पूरे परिवार में कोहराम मच गया। पत्नी राधाबाई तो अपनी सुधबुध ही खो बैठी। उसके एक वर्षीय बेटे लक्ष्य को किसी प्रकार अन्य परिजन संभाल रहे थे। माता पिस्ता देवी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
गांव के जवान के शहीद होने की सूचना जैसे ही लोगों को लगी तो घर पर पहुंचने वालों का तांता लग गया। काफी संख्या में लोग शहीद के परिजनों को सांत्वना देने में लगे रहे। परिवारिक सदस्यों के साथ-साथ गांव के गणमान्य लोग शहीद के पार्थिक शरीर के गांव में पहुंचने का इंतजार करने लगे। सैन्य अधिकारियों के अनुसार पहले सायं पांच बजे तक शव के गांव में पहुंचने की बात कही जा रही थी, लेकिन मौसम खराब होने व तकनीकी कारणों के चलते अब मंगलवार सुबह शहीद का शव गांव पहुंचेगा।
जवान के शहीद होने की सूचना जिला प्रशासन को मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी भी गांव पहुंचे। नगराधीश कुशल कटारिया की देखरेख में प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने शहीद के परिजनों के साथ मुलाकात की। साथ ही शहीद के अंतिम संस्कार संबंधी कार्यों को अमलीजामा पहनाने का कार्यवाही आरंभ की। शहीद के चचेरे भाई विजय के अनुसार वैसे तो परिवार पर बड़ी विपदा आन पड़ी है, लेकिन परिवार को इस बात का गर्व भी है कि उनका बेटा भारत माता की सेवा करते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर कर शहीद हो गया।
उन्होंने कहा लगातार हो रहे आतंकी हमले चिंता का विषय है, सरकार को इस पर कड़े कदम उठाने चाहिए। शहीद के सहपाठी दीपक व हरी ने नम आंखों से बताया कि हरीसिंह बचपन से ही हंसमुख व जुुुझारु था। सेना में भर्ती होने के लिए वह घंटों पसीना बहाता था। भर्ती के दौरान जब उसका मेडिकल आया तो उसके सिर से पिता का साया उठ गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी व अपनी मंजिल को हासिल किया। उन्होंने बताया कि जब वह छुट्टी आता तो अधिकांश समय अपने दोस्तों के साथ ही बिताता था।
वह गांव के अन्य युवाओं को भी सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करता था। जानकारी के अनुसार शहीद हरी सिंह का जन्म 15 अगस्त 1993 को हुआ था तथा वर्ष 2011 में 55- राष्ट्रीय राईफल में भर्ती हुए थे। शहीद हरी सिंह के पिता अगडी सिंह भी आर्मी में थे। शहीद हरी सिंह के परिवार में माता पिस्ता देवी, पत्नी राधा बाई व एक वर्षीय लडका लक्ष्य है। शहीद हरी सिंह की तीन बहने है, जिनका वह एकलौता भाई था।
उल्लेखनीय है कि कमाडिंग ऑफिसर कर्नल आरबी अलावेकर ने दिसंबर 2018 में डबल एक्स के सभी रैंको की तरफ से शहीद हरी सिंह को 13 नवंबर 2018 को लांच किये गये ऑपरेशन में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दो आंतकवादियों को गिरफ्तार कराने पर बधाई दी थी। उन्होंने पत्र में कहा था कि हरी सिंह की यह उपलब्धि असाधारण साहस और पेशेवर कौशल को प्रदर्शित करती है।
– शशि सैनी