दिल्ली के पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में इन दिनों धान की कटाई पूरी हो जाती है। धान की कटाई होते ही किसान पराली (फसल की ढूंढ़) जलाना शुरू कर देते हैं, क्योंकि किसानों के लिए ‘पराली निस्तारण’ एक बड़ी समस्या बनकर सामने आती है। वहीं पराली जलाना राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को खड़ा करता है।
पराली जलाने की घटना के बीच हरियाणा के रोहतक में पराली से बनाया जा रहा है। इससे पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। एक किसान ने बताया, “अब पराली नहीं जला रहे। पराली अब बिकने लगी है, पहले पराली नहीं बिकती थी जिसके कारण इसे जलाना पड़ता था। अब पराली से पशुओं के लिए चारा भी बना लेते हैं।”
हरियाणा के कृषि मंत्री जे.पी. दलाल ने कहा कि हमारे यहां पिछले साल की तुलना में (पराली को) आग लगाने की घटनाएं 30% कम हुई हैं और पंजाब में इस साल ऐसी घटनाएं 20% ज्यादा हुई हैं। इसी से जाहिर हो जाता है कि हरियाणा सरकार क्या कर रही है और पंजाब सरकार क्या कर रही है।
खतरनाक स्तर पर पहुंच गया AQI
प्रत्येक वर्ष दिवाली के बाद पराली जलाने की घटनाओं के चलते दिल्ली में प्रदूषण की भारी समस्या खड़ी हो जाती है। पंजाब और हरियाणा में लगातार होती घटनाएं दिल्ली की हवा को प्रदूषण के ख़तरनाक स्तर पर ले जाती है। दिल्ली में रहने वाले लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामने करना पड़ता है।
जानकारी के मुताबिक, पंजाब में बुधवार को पराली जलाने का एक नया रेकॉर्ड बनाया है। यहां के किसानों ने 3634 जगहों पर पराली जलाई। वहीं मंगलवार को 2131 जगहों पर ऐसी घटनाएं हुई। इतने बड़े स्तर पर पराली जलाने का नतीजा यह रहा कि दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 408 के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। वहीं नोएडा में शनिवार को ये स्तर 500 का आंकड़ा पार कर गया।