रोहतक में मानसिक रूप से अशक्त महिला से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे सात दोषियों की मौत की सजा की तामील पर उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को अंतरिम रोक लगा दी और दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपीलों पर सुनवाई करने पर सहमति जता दी।
एक फरवरी 2015 को हुई इस घटना ने दिसंबर 2012 में दिल्ली में 23 वर्षीय एक युवती से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले की याद दिला दी थी।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘‘अनुमति दी जाती है। मौत की सजा की तामील पर रोक लगाई जाती है।’’
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल में इस जघन्य अपराध के दोषियों को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को हाल में बरकरार रखा था और उनमें से प्रत्येक पर लगाए गए जुर्माने की राशि को 50 हजार से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया था।
अदालत ने दोषियों को सामूहिक बलात्कार के लिये आजीवन कारावास की भी सजा सुनाई थी।
आरोपियों ने नेपाली महिला से बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी और उसका क्षत-विक्षत शव रोहतक के गढ़ी खेड़ी गांव में चार फरवरी को एक खेत में फेंक दिया था।
चिकित्सकों ने पोस्टमॉर्टम के दौरान महिला के पेट से पत्थर और ब्लेड बरामद किये थे। आठवां आरोपी सोमबीर भाग गया था और बाद में उसने दिल्ली के बवाना में जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी।