कुरुक्षेत्र: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा से वैश्विक गीता पाठ के श्लोकों से पूरे विश्व को एक नई राह मिलेेगी। इन संदेशों से भारत दुनिया को विश्व शांति का नया पाठ पढ़ाएगा। इस वैश्विक गीता पाठ को देश ही नहीं 40 देशों में भी भारतीय समयानुसार किया गया हैं। अहम पहलू यह है कि इस पावन धरा पर दूसरी बार 18 हजार 16 विद्यार्थियों ने पवित्र ग्रंथ गीता के 18 अध्यायों के 18 श्लोकों का सामूहिक उच्चारण और अनुवाद कर एक नया इतिहास रचने का काम किया है। इन विद्यार्थियों ने पूरे समाज को कर्म, ज्ञान, भक्ति योग के मार्ग पर चलने का संदेश दिया है।
इतना ही नहीं इस वर्ष गीतास्थली ज्योतिसर की पावन धरा से 108 ब्राहमणों ने गीता पाठ का उच्चारण किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल वीरवार को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान थीम पार्क में प्रशासन, केडीबी द्वारा आयोजित वैश्विक गीता पाठ कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूप में बोल रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, राज्यमंत्री कृष्ण कुमार बेदी, स्वामी ज्ञानानन्द महाराज, सांसद राजकुमार सैनी, एसीएस डा. केके खंडेलवाल, उपायुक्त सुमेधा कटारिया, कुलपति डा. कैलाश चंद शर्मा, केडीबी के मानद सचिव अशोक सुखीजा ने मंत्रोच्चारण और शंखनाद की गूंज तथा गीता पूजन के साथ दीप प्रज्जवलित कर विधिवत रूप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इसके उपरांत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधिवत रुप से वैश्विक गीता पाठ को शुरु करने की घोषणा की। इससे पहले जिला प्रशासन, जिला प्रशासन व शिक्षण संस्थानों तथा तमाम संस्थाओं के सहयोग से अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में दूसरी बार 18 हजार 16 विद्यार्थियों ने पवित्र ग्रंथ गीता के 18 अध्यायों के प्रेरक18 श्लोकों का सामूहिक उच्चारण और अनुवाद कर एक नया इतिहास रचने का काम किया। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री उमा भारती व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने धनी राम भारती द्वारा लिखित नवीन गीता का विमोचन किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पूरे विश्व में पवित्र ग्रंथ गीता की एक मात्र ही ऐसा ग्रंथ है जो जीवन जीने की राह दिखाता है और दुनिया की तमाम समस्याओं का निदान करने का मार्ग प्रशस्त करता है। इस ग्रंथ का एक-एक श्लोकों मनुष्य को संस्कारवान बनाता है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र को गीता स्थली के रुप में पूरे विश्व में जाना जाता हैं।अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें.
– रामपाल शर्मा