गुरुग्राम : नगर निगम गुरुग्राम के अधीन आने वाले पार्कों और सामुदायिक केन्द्रों के रखरखाव के मुद्दे पर शनिवार को मेयर मधु आजाद की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक हुई। इसमें सीनियर डिप्टी मेयर प्रमिला गजेसिंह कबलाना, नगर निगम आयुक्त विनय प्रताप सिंह सहित निगम पार्षद एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।
बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि निगम पार्षद की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति बनाई जाएगी तथा समिति की संतुष्टि के बाद ही रखरखाव शुल्क का भुगतान होगा। इसके साथ ही जो आरडब्ल्यूए ठीक प्रकार से रख-रखाव की जिम्मेदारी नहीं निभा रही हैं अर्थात जो डिफॉल्टर हैं, उनसे तुरंत प्रभाव से रखरखाव की जिम्मेदारी वापस ली जाएगी। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अगर कहीं पर आरडब्ल्यूए का आपसी विवाद है, तो ऐसी स्थिति में रखरखाव की जिम्मेदारी वार्ड कमेटी को दी जाएगी। पार्षद और आरडब्ल्यूए के विवाद के मामले में मेयर, जोन चेयरमैन, निगम पार्षद तथा संयुक्त आयुक्त की एक समिति निर्णय लेगी।
बैठक में विभिन्न पार्षदों ने अपने सुझाव रखे कि पार्कों एवं सामुदायिक केन्द्रों के रख-रखाव की जिम्मेदारी संबंधित निगम पार्षद की सहमति से ही दी जाए तथा निगम पार्षद भी यही चाहते हैं कि सभी लोग मिलकर कार्य करें। बैठक में यह भी मामला रखा गया कि एक-एक कॉलोनी या सैक्टर में कई आरडब्ल्यूए बनी हुई हैं। इनमें जो आरडब्ल्यूए अच्छा कार्य कर रही हैं उन्हें जिम्मेदारी दी जाए तथा जो सही कार्य नहीं कर रही हैं, उनसे कार्य वापिस लेकर वार्ड कमेटी को दिया जाए। पार्कों और सामुदायिक केन्द्रों के रखरखाव के मामले में विकेन्द्रीकृत प्रणाली अपनाई जाए तथा प्रत्येक वर्ष ऑडिट रिपोर्ट ली जाए। बैठक में यह भी सुझाव दिया गया कि रख-रखाव शुल्क की बजाए संसाधन मुहैया करवाए जाएं।
बैठक में निगमायुक्त ने निगम पार्षदों द्वारा दिए गए सुझावों के लिए उनका धन्यवाद किया तथा बताया कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, इसी कारण शनिवार को विशेष बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में पार्कों एवं सामुदायिक केन्द्रों के रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित आरडब्ल्यूए को दी गई थी क्योंकि उस समय सदन नहीं था। उन्होंने बताया कि प्रत्येक कार्य में निगरानी की आवश्यकता है और निगरानी नहीं होगी, तो कार्य भी ठीक प्रकार से नहीं हो पाएगा।
उन्होंने कहा कि अगर पार्कों के रख-रखाव की जिम्मेदारी वार्ड कमेटी को दी जाती है, तो वार्ड कमेटी को भी निर्धारित शुल्क 3 रूपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से ही दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना रैगुलेशन और निगरानी समिति के संतुष्टि पत्र किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अगर कोई आरडब्ल्यूए सही कार्य नहीं करती है, तो उसे दो नोटिस देकर कार्य वापस लिया जाए।
बैठक में निगमायुक्त द्वारा ये भी निर्देश दिए गए कि निगम अधिकारी आरडब्ल्यूए अध्यक्ष से संबंधित बोर्ड भविष्य में नहीं लगाएंगे। पार्कों में विकास कार्य करवाने के बारे में निगमायुक्त द्वारा ये निर्देश दिए गए कि इस मामले में निगम पार्षद के सुझाव अवश्य लिए जाएं। अगर वार्ड में किसी भी प्रकार का कार्य किया जाता है, तो उसकी जानकारी संबंधित निगम पार्षद को जरूर दी जाए।
सामुदायिक केन्द्रों के मामले में निर्णय लिया गया कि निगम पार्षद सामुदायिक केन्द्र का उपयोग कर सकता है तथा आरडब्ल्यूए बिना निगम की अनुमति के सामुदायिक केन्द्र में कोई भी गतिविधि नहीं कर सकती। निगमायुक्त ने सदन को आश्वस्त किया कि प्रत्येक कार्य पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाएगा।
बैठक में मेयर मधु आजाद, सीनियर डिप्टी मेयर प्रमिला गजेसिंह कबलाना, नगर निगम आयुक्त विनय प्रताप सिंह, निगम पार्षद सीमा पाहुजा, आरएस राठी, संजय प्रधान, सुभाष फौजी, धर्मबीर, हेमन्त सेन, महेश दायमा, अनूप सिंह, कुलदीप बोहरा, अश्विनी शर्मा एवं रविन्द्र यादव सहित पूर्व सरपंच अनिल यादव, नीरज यादव, राकेश यादव, अनिल यादव, अतिरिक्त निगमायुक्त सुरेन्द्र सिंह एवं अमरदीप जैन, एडीशनल म्यूनिसिपल कमिशनर वाईएस गुप्ता, संयुक्त आयुक्त संजीव सिंगला, चीफ इंजीनियर एनडी वशिष्ठ एवं रमन शर्मा, कार्यकारी अभियंता प्रेमपाल शर्मा एवं डीएस भड़ाना सहित अन्य निगम अधिकारी उपस्थित थे।