फरीदाबाद: एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष कृष्ण अत्री के नेतृत्व में नेहरू कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने उद्योग मंत्री के कार्यालय के बाहर पैदल मार्च करके धरना प्रदर्शन किया। सेक्टर-16 स्थित पं. जवाहर लाल नेहरू कॉलेज के छात्र-छात्राएं सरकारी कॉलेजों में 20 प्रतिशत सीट अभी तक वृद्धि न किए जाने को लेकर आज तेज धूप में पैदल मार्च करके हरियाणा के उद्योग मंत्री विपुल गोयल कार्यालय पर पहुंचे और वहां सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। सभी छात्र-छात्राएं 37 डिग्री तापमान में तपती जमीन पर उद्योग मंत्री के कार्यालय के बाहर बैठ गए और सरकारी कॉलेजों में 20 प्रतिशत सीट वृद्धि की पुरजोर मांग करने लगे।
इस मौके पर एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष कृष्ण अत्री ने बताया कि जिले में कुछ ही सरकारी कॉलेज है जिनमे सभी मे सीटें भर चुकी है और बच्चे दाखिले से वंचित रह गए है। ज्यादातर बच्चो के 65-70 प्रतिशत तक अंक है लेकिन फिर भी दाखिले नहीं हो पाए है। ऐसे में स्नातक (बी.ए, बी.कॉम, बी.एससी, बीसीए, बीबीए) तथा परास्नातक (एम.ए, एम.कॉम, एम.एससी) कक्षाओं में 20 प्रतिशत सीट बढ़ा देनी चाहिए ताकि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो। उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से सीट बढ़वाने के लिए एनएसयूआई फरीदाबाद लगातार संघर्षरत है लेकिन अभी तक हर जगह से सिर्फ कोरे आश्वासन ही मिले हैं। मंत्रियों से लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन और जिला प्रशासन इस मामले की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
अत्री ने कहा कि इससे पहले एनएसयूआई फरीदाबाद के कार्यकर्ताओं ने 25 जुलाई को नेहरू कॉलेज के गेट पर प्रदर्शन करके शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा का पुतला फूंका, 1 अगस्त को जिला उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन करके वाईस चांसलर मदवि, शिक्षा मंत्री हरियाणा सरकार तथा डीएचई के नाम ज्ञापन सौंपा, उद्योग मंत्री के कार्यालय पर भी प्रदर्शन किया, 16 अगस्त को मुख्यमंत्री शिक्षामंत्री और एमडीयू के वाईस चांसलर का पुतला फूका गया लेकिन उसके बावजूद अभी तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अगर कुछ दिया तो सिर्फ मात्र कोरा आश्वासन। इस मौके पर मोहित त्यागी, अभिषेक वत्स, चेतन दीक्षित, रूपेश झा, अंकित, आशीष सिंह, रोहित कबीरा, गुलशन कौशिक, धनंजय, हरेन्द्र, ज्योति नरवत, हनी, आरती, रिंकी, कोमल, पूजा, दीपाली, आरती रॉय, दीपा, कुसुम, ज्योति बघेल, ज्योति राजपूत, गौरव कौशिक सहित अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
– राकेश देव