बता दे कि मेजर आशीष के अंतिम विदाई के वक्त गांव के युवा मोटरसाइकिलों के जरिए पथ से शरीर के आगे जुलूस के रूप में चल रहे थे साथ ही मुख्य गलियों में तिरंगा भी लहरा रहे थे। मेजर आशीष के अंतिम विदाई पर गांव बिंझौल के शमशान घाट में लोगों की इतनी भीड़ लग गई, की कोई पेड़ पर चढ़ गया था तो कोई शमशान घाट में बने कमरे की छत पर। मेजर आशीष की आखिरी विदाई पर अलग-अलग स्थानों पर फूलों की वर्षा करवाई गई, जहां परिजनों के चेहरे पर बेटे को खोने का गम था तो वही देश के लिए शहीद होने का गर्व का एहसास भी था।