चंडीगढ़ : हरियाणा में कांट्रेक्ट आधार पर नौकरी कर रहे कच्चे कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। सरकार ने आउटसोर्सिंग नीति पार्ट-।। के तहत कार्यरत कर्मचारियों पर समान काम-समान वेतन फार्मूला लागू करने के निर्देश दिए हैं। इस संदर्भ में मुख्य सचिव की ओर से सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों, विभागों के मुखियाओं, बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशकों आदि को लिखित में निर्देश जारी करके इसे लागू करने को कहा है।
सरकार ने अभी तक जितने कर्मचारियों पर समान काम-समान वेतन का फार्मूला लागू हो चुका है, उनकी विभाग और पदवार जानकारी भी मांगी है। इस मुद्दे पर शनिवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ हुई कर्मचारी संगठनों की बैठक के दौरान भी कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से आवाज उठाई थी।
इसके बाद ही सरकार ने यह निर्देश जारी किए हैं। हालांकि सरकार समान काम-समान वेतन का फैसला पहले ही लागू कर चुकी है लेकिन कई विभागों में अभी भी कर्मचारी इससे वंचित थे। मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा की ओर से जारी किए गए निर्देशों में सभी मंडलायुक्तों, डीसी और एसडीएम को भी इस संदर्भ में हिदायतें दी गई हैं।
नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर डीए का भी लाभ
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद हरियाणा सहित कई राज्य इसे लागू करने को मजबूर हुए। दरअसल, जिन कर्मचारियों व अधिकारियों की नियुक्ति स्वीकृत पदों के विरुद्ध विज्ञापन प्रक्रिया के तहत हुई हैं, उन पर यह फैसला लागू होगा। यानी ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों को मिलने वाले प्रारंभिक वेतन जितना ही पैसा मिलेगा। इसी तरह से इन कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर डीए का भी लाभ मिलेगा।
15 हजार कर्मचारी वर्षों से कर रहे थे इंतजार
हरियाणा के बिजली वितरण निगमों में सहायक लाइनमैन, लाइनमैन और क्लर्क सहित पंद्रह हजार के करीब ऐसे कर्मचारी हैं, जो बरसों से कार्यरत हैं लेकिन न तो वे आउटसोर्स पालिसी पार्ट-। के तहत लगे हैं और न ही पार्ट-।। में कवर होते हैं। सीएम के सामने भी इनका मुद्दा उठा चुका है। सीएम ने जब अपने अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये कर्मचारी स्पेशल कैटेगरी के तहत लगाए गए हैं।
बहरहाल, इन कर्मचारियों को पार्ट-।। में कवर करने का फैसला हुआ है। प्रदेश के निकायों यानी नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं में कांट्रेक्ट आधार पर कार्यरत कर्मचारियों की भी समान काम-समान वेतन की पुरानी मांग है। इस मांग को लेकर पालिका कर्मचारियों द्वारा आंदोलन भी किए गए लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। अब सरकार के आदेशों के बाद पालिका कर्मचारियों को भी उम्मीद है कि उन्हें समान काम-समान वेतन की नीति में शामिल किया जाएगा।