चंडीगढ़ : हरियाणा में गृह मंत्री अनिल विज ओर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बीच सीआईडी को अधीन रखने के मुद्दे पर मची घमासान के साथ ही सारा मामला भाजपा आला कमान के पास पहुंच गया है। आला कमान के दखल के चलते अब सीआइडी को पुलिस विभाग की महज एक शाखा से विभाग में बदलने की प्रक्रिया आगे बढ़ने के आसार नहीं है। हाल में नौकरशाही के स्तर पर वेबसाइटों पर ऐसा प्रदर्शन किया गया था कि सीआइडी मुख्यमंत्री के अधीन एक विभाग है।
इस दावे पर गृहमंत्री अनिल विज ने कहा था कि पुलिस संगठन के तहत गुप्तचर शाखा है। यह गृह विभाग का अभिन्न अंग है। इसे अलग विभाग के रूप में कानून संशोधन के जरिए ही लाया जा सकता है। मुख्यमंत्री इस दावे पर कहते रहे है कि यह तकनीकी मसला है ओर इसे सुलझा लिया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस बयान के साथ ही ऐसे संकेत मिले थे कि सीआइडी को अलग विभाग बनाने की कवायद मुख्यमंत्री सचिवालय में शुरू कर दी गई है।
इन खबरों के बीच विज की ओर से भी संकेत दिए गए की सीआइडी के बिना गृहविभाग बिना आंख ओर कान के होगा। ऐसे में वे गृहविभाग छोड़ने का फैसला कर सकते है। विज ने इसके साथ ही सारे मामले को पार्टी आला कमान के सामने रखा है। समझा जा रहा है कि आला कमान के दखल से सीआइडी को गृहविभाग से अलग करने की प्रक्रिया थमने वाली है।
वैसे भी सीआइडी को अलग विभाग बनाने की प्रक्रिया गेर जरूरी मानी जा रही है। सीआइडी की रिपोर्ट गृहमंत्री के साथ मुख्यमंत्री व मुख्यसचिव को पेश की जाती है। हाल में गृहमंत्री के पिछले विधानसभा से पहले की राजनीतिक दलों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगने ओर कुछ लोगो के फोन टेपिंग मामले में दखल करने पर सीआइडी को मुख्यमंत्री के अधीन बताने की कवायद शुरू की गई थी।