अम्बाला : पूर्व केन्द्रीय मंत्री विनोद शर्मा ने अम्बाला शहर के घूंघट पैलेस में हजारों कट्टर समर्थकों की मौजूदगी में 125 किलो का बहुमंजिला केक काटकर अपना 71वां जन्म दिन मनाया। नई राजनैतिक पारी की घोषणा सुनने की लोगों की इच्छा आज भी पूरी नहीं हो पाई क्योंकि गम्भीर और संवेदनशील स्वभाव के धनी विनोद शर्मा ने आज भी अपने कट्टर समर्थकों के चेहरों को पढ़ते हुए उनकी नब्ज टटोली लेकिन कार्यक्रम के अन्त तक अपने पत्ते नहीं खोले।
उनके अत्यन्त करीबी सूत्रों की मानें तो नई पारी की शुरूआत की घोषणा में अभी कुछ समय लगेगा क्योंकि नई पारी की शुरूआत का प्रभावी ढंग से श्रीगणेश करने से पहले अंतिम चिंतन मंथन किया जा रहा है। आज के समारोह में नगर निगम के पूर्व मेयर रमेशमल समेत उनके अनेक कट्टर समर्थक, उद्योगपति, धार्मिक और सामाजिक संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण आंचल के स्थानीय नेता पंच, सरपंच और नम्बरदार मौजूद थे।
मेहमान नवाजी की उल्लेखनीय अपनी पारिवारिक परम्परा को निभाते हुए सभी मेहमानों के लिए लजीज व्यंजनों की पूरी व्यवस्था की गई थी। घूंघट पैलेस में चारों ओर से बड़ी संख्या में वाहनों पर सवार आने वालों का सिलसिला प्रात: से बाद दोपहर तक चलता रहा। यहां आने वाले अधिकतर लोगों में केवल एक बात पर ही चर्चा होती रही कि भविष्य में विनोद शर्मा घर वापिसी करके कांग्रेस के टिकट पर 2019 की राजनैतिक पारी खेलेंगे या फिर अपनी जनचेतना पार्टी का जजपा-आप, इनेलो, बसपा और राजकुमार सैनी की पार्टी के गठबन्धन से तालमेल करेंगे।
कार्यक्रम के अन्त तक लोग विनोद शर्मा की घोषणा का उत्सुकता के साथ इंतजार करते रहे लेकिन विनोद शर्मा गर्मजोशी के साथ आने वालों का स्वागत और जाने वालों का धन्यवाद करते दिखाई दिए। विनोद शर्मा की आज की सक्रियता से कांग्रेस समेत अन्य सभी पार्टियों के सम्भावित उम्मीदवारों का राजनैतिक गणित गड़बड़ाना शुरू हो गया है क्योंकि 2014 में मोदी लहर के बावजूद विनोद शर्मा कांग्रेस छोड़कर अपनी जनचेतना पार्टी के बैनर पर चुनाव लड़कर 38 हजार से अधिक वोट लेने में कामयाब रहे थे।
उनके विरोधियों का मानना है कि इतने न्यूनतम मतदाता तो उनके साथ अब भी हैं। 2019 के चुनाव में यदि वे अम्बाला शहर से चुनाव लड़ते हैं तो उनके विरोधियों के छक्के छूटना तय लगता है क्योंकि उन्हें हरियाणा की राजनीति का हैवीवेट राजनेता माना जाता है और अम्बाला में हजारों कट्टर समर्थकों से अब तक उनका सीधा सम्पर्क लगातार बना रहता है। उनके सम्पर्क में रहने वाले लोग उनके लिए सदैव सम्र्पण भाव से तत्पर रहते हैं।
(राजेन्द्र भारद्वाज)