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जल महल में दशकों बाद भरा जल

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नारनौल: दशकों बाद शहर के प्राचीन तथा ऐतिहासिक स्मारक जल महल में नहरी पानी भरने के बाद अब जल महल की शोभा को चार चांद लग गए हैं। दशकों के बाद जल महल लबालब भर जाने के बाद अब इसे देखने के लिए शहर तथा आसपास के गांवों के लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में यह जलमहल दशकों से पर्यटकों के लिए प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक माना जाता रहा है। बिना जल के यह जल महल काफी वीरान लगता है। पर्यटकों के लिए बिना जल के यह जल महल केवल अपने पुरातन तथा भीति चित्र के कारण दर्शनीय माना जाता रहा है। इसके साथ ही यदि इसमें पानी भर जाता है तो इसकी आभा को चार चांद लग जाना कोई बड़ी बात नहीं है।

इस जलमहल में पानी भरने के पीछे भी जिला प्रशासन तथा पुरातत्व सर्वेक्षण के बीच काफी लम्बे समय से विवाद चल रहा था। इस सबके बीच जिला प्रशासन ने शहर तथा आसपास के गांवों के लोगों की मांग पर इसमें पानी डालने में रुचि दिखाई थी। इसके लिए जिला प्रशासन ने नहर विभाग को एक आदेश के तहत एक नाला बनाने का काम दिया था। जो दो साल पूर्व पूरा हो गया था। इस बार बरसात शुरू होने के बाद से ही नहर से पानी आना शुरू हो गया था। गत एक अगस्त से अब इस जलमहल में पानी भरने का काम शुरू हो गया था तथा अब पूरा हो गया है। लेकिन पानी की आवक लगातार जारी रहेगी। क्या था विवाद-जिला प्रशासन तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के बीच गत काफी सालों से इस जल महल को पानी में भरने की बात को लेकर विवाद चल रहा था।

इस नहरी पानी को लेकर नहर विभाग ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से पानी का चार्ज मांगा था। जिस पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने पानी की कीमत देने से मना करते हुए जल महल में पानी डालने से भी मना कर दिया था। मना करने के पीछे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपनी दलील दी थी कि यदि दशकों से सूखे जल महल में पानी भरा जाएगा तो इसे क्षति पहुंच सकती है। लेकिन बाद में जिला प्रशासन तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के बीच मौखिक समझौता हो गया तथा इसमें पानी भरने पर सहमती हो गई थी। इसी सहमती के बाद इस बार लगभग सात साल के बाद नहरी पानी से जल महल भरने का काम पूरा किया गया है।

– महेश कुमार

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