कुरुक्षेत्र : असम के राज्यपाल जगदीश मुखी ने कहा कि गीता ज्ञानम संस्थान में गीता के अभिलेखों तथा अन्य सामग्री को संरक्षित किया जाएगा, जो कि मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी द्वारा किया जा रहा प्रशंसनीय कार्य है। ऐसे में गीता के साधकों और शोधकों के लिए गीता ज्ञानम संस्थान अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होगा।
राज्यपाल जगदीश मुखी शुक्रवार की सांयकाल अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अंतर्गत गीता ज्ञानम संस्थान में जीओ गीता प्रदर्शनी का अवलोकन करने के पश्चात पत्रकारों से वार्तालाप कर रहे थे। संस्थान में पहुंचने पर महामहिम राज्यपाल स्वामी ज्ञानानंद महाराज से आर्शीवाद प्राप्त किया। इस अवसर पर संस्थानम की और से पदाधिकारियों ने राज्यपाल को पुष्पगुच्छ भेंट किए तथा वेदपाठी ब्राहमणों ने आचार्य नरेश के नेतृत्व में मंत्रोच्चारण के साथ उनका स्वागत किया।
प्रवेश के साथ ही राज्यपाल ने भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना की। इसके पश्चात् उन्होंने संस्थान की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में विद्वानों द्वारा गीता के विषय में की गई टिप्पणियों को उनके चित्रों व नाम सहित अलग-अगल बोर्ड लगाकर प्रदर्शित किया गया है। राज्यपाल जगदीश मुखी ने प्रदर्शनी में सभी विद्वानों की टिप्पणियों को ध्यानपूर्वक पढ़ा।
बीच-बीच में स्वामी ज्ञानानंद महाराज उन्हें प्रदर्शनी के विषय में विस्तार से जानकारी देते रहे। संस्थान में स्थापित गीता पुस्तकालय का भी राज्यपाल ने अवलोकन किया, जहां विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित गीता की प्रतियां तथा विद्वानों द्वारा अनुवादित गीता की प्रतियों का संकलन उपलब्ध था। इस मौके पर राज्यपाल जगदीश मुखी ने कहा कि गीता ज्ञान का संदेश देती है।
गीता एक ऐसा ग्रंथ है जो विश्व में सर्वमान्य है और जिसका विश्व की सर्वाधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है। गीता के अंदर कर्म तथा भक्ति का अनूठा संगम मिलता है। राज्यपाल ने कहा कि जिस धरती पर गीता का संदेश दिया गया था वहां आकर वे खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञानम संस्थान की स्थापना की गई है। इस संस्थान का उद्देश्य बेहद पुनीत व मानवता के लिए लाभकारी है। संस्थान में गीता के सभी अभिलेखों व संबंधित हर प्रकार की सामग्री का संरक्षण किया जाएगा।
(रामपाल शर्मा)