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गीदड़ भभकी से डरने वाले नहीं, दम है तो मुझे निकाल कर दिखाएं : नैना

डा. अजय सिंह चौटाला को पार्टी से निष्काषित करने के फरमान आने के बाद उनकी धर्मपत्नी व डबवाली से विधायक नैना चौटाला ने जम कर प्रहार किए।

सिरसा : पार्टी के सर्वेसर्वा बताने वालों के हाथ में कलम हैं और उन्होंने पहले दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला को पार्टी से बाहर करवाया और फिर पार्टी महासचिव डा. अजय चौटाला को पार्टी से बाहर निकलवाया। मगर हम इन गीदड़ भभकियों से डरने वाले लोग नहीं है, अगर उनमें इतना ही दम है तो मुझे पार्टी से क्यों नहीं निकालते। यह बात डबवाली से विधायक नैना चौटाला ने कही।

वह शुक्रवार को ऐलनाबाद हलके के गांव जमाल में आयोजित हरी चुनरी की चौपाल में उमड़ी हजारों महिलाओं की भीड़ को संबोधित कर रही थी। डा. अजय सिंह चौटाला को पार्टी से निष्काषित करने के फरमान आने के बाद उनकी धर्मपत्नी व डबवाली से विधायक नैना चौटाला ने जम कर प्रहार किए।

उन्होंने कहा कि अजय चौटाला ने 40 बरस तक मेहनत कर पार्टी को उठाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी, फिर ऐसा अजय चौटाला ने क्या कौन सा गुनाह दिया कि उन्हेें बिना नोटिस के ही निष्काषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी को कर्ताधर्ता और पार्टी को उठाने वाले वालों से सवाल किया कि यदि केवल एक ही व्यक्ति की मेहनत से पार्टी चल रही है और संगठन को मजबूत किया तो, फिर वर्ष 2014 में वही लोग पार्टी में सबकुछ थे, बहुत मजबूत थे, और आप ही अकेले मैदान में थे।

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पार्टी सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला जेल में चले गए थे और मुख्यमंत्री पद को लेकर भी कोई विवाद नहीं था तो फिर वे अपनी काबिलियत से अपने दम से पार्टी को सत्ता में क्यों नहीं लाए। उन्होंने कहा कि घमंड तो रावण का भी नहीं रहा था और उन्हें समझना चाहिए कि जनता ही सर्वोपरी है और अंतिम फैसला लेना जनता के हाथ में है।

नैना चौटाला ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि पिछले अढ़ाई वर्षों से लगातार कार्यक्रमों के आयोजन को लेकर यातना झेली है और हरी चुनरी के चौपाल से लेकर, दिग्विजय चौटाला के कालेजों में जाने तक पर सवाल उठाए गए। लेकिन अब वह बंधन टूट गया है और अब वह आजाद हो गए हैं और जींद में शनिवार को प्रदेश की जनता कोई भी फैसला ले सकती है।

(दीपक शर्मा)

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