गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल में एक बच्ची की मौत हो गई, इसके बावजूद अस्पताल ने 18 लाख रुपये का बिल बनाया। अस्पताल के बिल में डॉक्टरों द्वारा प्रयोग किए गए 2700 दस्ताने और 660 सिरिंज के दाम भी शामिल थे। ट्विटर पर पीड़ित ने बिल की कॉपी के साथ पूरी घटना शेयर की, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एक्शन लेते हुए गुरुग्राम फोर्टिस हॉस्पिटल से रिपोर्ट मंगाई है, साथ ही स्वास्थ्य सचिव को जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, ट्वीट वायरल होते ही बड़ी संख्या में लोगों ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जुड़वा बहनों में से बड़ी को दो महीने पहले डेंगू हुआ था, जिसके बाद उसे द्वारका के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डेंगू होने के पांचवें दिन रॉकलैंड से फोर्टिस ले जाया गया, जहां अगले ही दिन बिना जानकारी दिए उसे वेंटिलेटर पर डाल दिया गया। जिसके बाद डेंगू के इलाज के लिए भर्ती सात साल की बच्ची के इलाज में 2700 ग्लव्स और 500 सिरिंज का इस्तेमाल करते हुए 15.59 लाख का बिल बना दिया गया, लेकिन फिर भी बच्ची की जान नहीं बची।
स्वास्थ्य मंत्री ने मांगी रिपोर्ट
जब पीड़ित ने बिल की कॉपी के साथ पूरी घटना शेयर की,उसके बाद स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सभी जरूरी जानकारी और रिपोर्ट ईमेल करने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन भी दिया। दूसरी तरफ अस्पताल के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से भी सारी जानकारी देने के लिए कहा गया है।
क्या कहा अस्पताल ने ?
इस पूरे मामले पर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि ‘सात साल की बच्ची को एक दूसरे प्राइवेट अस्पताल से 31 अगस्त को लाया गया था। उसको डेंगू था जो शॉक सिंड्रोम की स्टेज पर थी। हमने इलाज शुरु किया लेकिन उसके ब्लड प्लेटलैट्स लगातार गिर रहे थे। हालत खराब होने पर हमने 48 घंटों के अंदर वेंटिलेटर पर रखा।’ अस्पताल का दावा है कि 14 सितंबर को डॉक्टर की सलाह के खिलाफ परिजन उसे अस्पताल से ले गए और उसी दिन बच्ची की मौत हो गई। अस्पताल की मानें तो इलाज के दौरान प्रोटोकॉल और दिशा-निर्देश का ध्यान रखा गया। साथ ही 20 पन्नों के बिल के बारे में परिवार को बताया गया था।