किसी भी कर्मचारी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा : मनोहर लाल खट्टर

गुर्जर के अनुसार उनका संगठन और भारतीय मजदूर संघ अदालत के फैसले से प्रभावित होने वाले कर्मचारियों के साथ हैं और इनकी पूरी पैरवी करेंगे चाहे वह न्यायालय में हो या फिर सरकार के साथ, इनका पक्ष मजबूती के साथ जायेगा।
किसी भी कर्मचारी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा : मनोहर लाल खट्टर
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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि किसी भी कर्मचारी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जायेगा। खट्टर ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समय विधानसभा चुनाव से पूर्व ठेका कर्मचारियों को नियमित करने के संबंध में चार नीतियों को रद्द करने के फैसले के बाद हरियाणा राज्य कर्मचारी संघ के एक शिष्टमंडल को यह आश्वासन दिया। अदालत के फैसले से 20 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे।

संघ के प्रदेश महासचिव कृष्णलाल गुर्जर ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि उनका एक शिष्ट मंडल मुख्यमंत्री से मिला जिसमें कल के उच्च न्यायालय के फैसले पर गंभीरता से विचार विमर्श हुआ। उन्होंने बताया कि इस दौरान खट्टर ने आश्वासन दिया कि किसी भी कर्मचारी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जायेगा और सरकार हाई कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर कोई फैसला लेगी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि सरकार इस विषय पर अदालत के फैसले का अध्ययन कर गंभीरता से पैरवी करेगी।

किसी भी कर्मचारी की रोजी रोटी नहीं छीनी जाएगी और न ही नौकरी से हटाया जाएगा। जो भी कर्मचारी हित में बनेगा वह सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। गुर्जर के अनुसार उनका संगठन और भारतीय मजदूर संघ अदालत के फैसले से प्रभावित होने वाले कर्मचारियों के साथ हैं और इनकी पूरी पैरवी करेंगे चाहे वह न्यायालय में हो या फिर सरकार के साथ, इनका पक्ष मजबूती के साथ जायेगा।

उन्होंने बताया कि भारतीय मजदूर संघ की दो दिवसीय बैठक 2 व 3 जून को पानीपत में होगी। जिसमें प्रदेश भर के कर्मचारियों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार विमर्श करके अगली रणनीति तैयार की जाएगी। इस बीच हरियाणा कर्मचारी महासंघ ने अदालत के फैसले को दुर्भाज्ञपूर्ण करार देते हुए आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे पर सही ढंग से पैरवी नहीं की।

महासंघ के लेखराज चौधरी की तरफ से यहां जारी बयान में कहा गया प्रदेश सरकार के इस पर सही ढंग से कानूनन पैरवी ना किये जाने के कारण बाकायदा विधानसभा में पारित कर बनाई गई पॉलिसी को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में सरकार का सही तरीके से इस मामले में पैरवी ना करना दिखाता है कि प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों के हितों का ख्याल कितनी गम्भीरता से रखती है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद भी कर्मचारियों को समान काम समान वेतनमान नहीं दिया जाना भी यही दर्शाता है कि हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी सरकार पूर्ण रूप से हर मोर्चे पर कर्मचारी विरोधी सरकार रही है। चौधरी के अनुसार महासंघ अपनी तरफ से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायविदों से सलाह-मशविरा करके इस पर आगे की कार्रवाई करेगा।

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