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दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करते हैं मुख्यमंत्री

वर्तमान मुख्यमंत्री ने बिना राजनैतिक भेदभाव के कर्मचारियों के हित में ठोस रूप में पैरवी करने का निर्णय लिया ताकि हजारों परिवारों की रोजी-रोटी पर आंच न आए।

चंडीगढ : वर्तमान राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में राजनेताओं द्वारा मंच पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों का कीचड़ उछालना आम हो चला है। अगर कोई राजनेता विपक्षी पार्टी के किसी नेता की कभी तारीफ कर भी दे तो तुरंत उसके दल द्वारा उसके व्यक्तिगत विचार कह कर पार्टी की ओर से पल्ला झाड़ लिया जाता है। जहां तक हरियाणा की राजनीति की बात है, पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बंसीलाल के अलावा किसी मुख्यमंत्री या राजनेता के कार्यों की विपक्षियों द्वारा प्रशंसा की जाती है तो वह वर्तमान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं। हरियाणा में विकास पुरूष कहे जाने वाले बंसीलाल ने प्रदेश के कोने-कोने में सडक़, बिजली व नहरी पानी पहुंचाने के लिए आज भी याद किया जाता है।

जब वे मुख्यमंत्री थे तो वे बेशक कांग्रेस पार्टी में थे परंतु उन्होंने प्रदेश हित में काम हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर किया। उनके ऊपर किसी क्षेत्र विशेष या जाति विशेष के हक में काम करने का कभी ठप्पा नहीं लगा। अगर बात करें हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल की, इनके ऊपर बेशक करनाल जिला के लोगों का, वहां से विधायक होने के कारण, तुलनात्मक रूप से अधिक विकास करने का दबाव है, परंतु बेबाकी से मुख्यमंत्री कई बार कह चुके हैं कि वे पूरे हरियाणा में समान रूप से विकास कार्य करवा रहे हैं और भविष्य में भी समान ही करवाएंगे। भाजपा को हरियाणा में सत्ता में आए करीब चार साल होने वाले हैं परंतु मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ईमानदारी एवं ‘सबका साथ, सबका विकास’ की कार्यशैली के चलते विपक्षी दलों को सरकार पर राजनैतिक हमला करने व कोई बड़ा मुद्दा भुनाने का कोई अवसर अभी तक हाथ नहीं आया है।

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सत्ता में आते ही पहले ही वर्ष हालांकि भाजपा सरकार के सामने किसानों की ओलावृष्टि से खराब हुई फसल का भारी-भरकम मुआवजा देने की चुनौती सामने खड़ी थी, परंतु मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा ‘वे किसान के घर में जन्में हैं और उनकी दुख-तकलीफों को समझते है।’ उन्होंने प्रदेश के किसानों को ओलावृष्टि व सफेद मक्खी से फसलों को पहुंचे नुकसान के लिए 2100 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया, जबकि पिछले 15 वर्षों में किसानों को महज 1600 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि मिली। हाल ही में, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कर्मचारियों के हित में जो फैसला लिया है उसका चहुंओर स्वागत किया जा रहा है। पूर्व की कांग्रेस सरकार में कच्चे कर्मचारियों को विधानसभा चुनाव के नजदीक तुर्ता-फूर्ती में पक्का करने की घोषणा कर दी गई और जल्दबाजी में पोलिसी बना दी गई। कुछ लोग तत्कालीन कांग्रेस सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट चले गए थे और पक्का करने की पोलिसी पर ऐतराज जताया गया।

अब इन हजारों कर्मचारियों की नौकरी पर कोर्ट के फैसले से तलवार लटकी हुई है। परंतु वर्तमान मुख्यमंत्री ने बिना राजनैतिक भेदभाव के इन कर्मचारियों के हित में ठोस रूप में पैरवी करने का निर्णय लिया है ताकि हजारों परिवारों की रोजी-रोटी पर आंच न आए। मनोहर लाल ने बड़ा दिल दिखाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह को फोन कर कहा, हुड्डा साहब ! ये कर्मचारी आपकी सरकार के समय रेगुलर हुए थे। अब हाईकोर्ट ने वे नीतियां रद्द कर दी हैं जिनके आधार पर आपने इनको रेगूलर किया था। आगे की रणनीति सांझा बनाने के लिए आप अपना वकील भेज दें। बताते हैं कि उन्होंने पूर्व एडवोकेट जनरल हवा सिंह हुड्डा को भेज दिया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला को भी अपना वकील भेजने को कहा।

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कहने का अभिप्राय : यह है कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा पूर्व की सरकारों में नौकरी पर लगे युवाओं को उनकी सरकार आने के बाद हटाए जाने के मामले तो अनेक मिल जाएंगे परंतु कोर्ट के निर्णय से संशयग्रस्त हजारों युवाओं की नौकरी बचाने के लिए विपक्षी दलों से विचार-विमर्श करने का मुख्यमंत्री मनोहर लाल जैसा प्रदेश ही नहीं शायद देश में पहला उदाहरण हो।

(राजेश जैन)

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