Brain Stroke: सावधान! युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है ब्रेन स्ट्रोक, बन सकता है पैरालिसिस का कारण

Brain Stroke: सावधान! युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है ब्रेन स्ट्रोक, बन सकता है पैरालिसिस का कारण
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Brain Stroke: बीते सालों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामलों में काफी तेजी से इजाफा हुआ है। कम उम्र के लोग भी लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। दुनिया में होने वाली मौतों में एक कारण ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) भी है। अगर इस बीमारी से बच भी गए, तो कई तरह की समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। इनमें पैरालिसिस, बोलने-देखने में समस्या, सोचने-समझने की शक्तियां कम होना जैसी समस्याएं शामिल हैं।

Highlights

  • युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है ब्रेन स्ट्रोक
  • पैरालिसिस का कारण बन सकता है ब्रेन स्ट्रोक
  • इन कारणों से बढ़ता है स्ट्रोक

क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट्स?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह 40 से कम उम्र के लोगों में स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं, जो चिंता का कारण है. आइए जानते हैं आखिर ब्रेन स्ट्रोक क्या होता है और यह कितना खतरनाक है।

 ब्रेन स्ट्रोक के कारण

ब्रेन स्ट्रोक तब होता है, जब कोई चीज ब्रेन के हिस्से में ब्लड की सप्लाई को रोक देती है या किसी कारण से दिमाग में रक्त वाहिका (Blood Vessel) फट जाती है। स्ट्रोक से ब्रेन को नुकसान, पैरालिसिस और यहां तक की जान जाने का खतरा भी रहता है। कुछ रिसर्च में पाया है, कि हर किसी को स्ट्रोक के लक्षण नजर नहीं आते हैं। लक्षण के बिना स्ट्रोक आना ज्यादा कॉमन बनता जा रहा है।

युवाओं में तेजी से बढ़ रहा स्ट्रोक का खतरा

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्ट्रोक किसी भी उम्र में हो सकता है। इसके मुख्य कारण मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज हैं। अधिकतर बुजुर्गों में स्ट्रोक के मामले ज्यादा होते हैं। करीब 7 मामलों में से एक मामला 15-49 साल वालों में देखा जा रहा है। 2021 में हुए एक रिसर्च के मुताबिक, 10-15% स्ट्रोक के केस 18-50 उम्र वालों में होते हैं। खराब लाइफस्टाइल से इसका जोखिम ज्यादा रहता है।

 इन कारणों से बढ़ता है स्ट्रोक

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव किडनी डिसऑर्डर की रिपोर्ट के मुताबिक, मोटापा, स्ट्रोक होने के खतरे को कई गुना ज्यादा बढ़ा देता है।

  • हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज दोनों ही स्ट्रोक के रिस्क को बढ़ाने का काम करते हैं।
  • शराब और सिगरेट या किसी तरह का धूम्रपान स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा रहा है।
  • सेकेंड हैंड धुएं में भी सांस लेने से स्ट्रोक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई गई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. Punjabkesari.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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