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7वें वेतनमान : कर्मचारियों ने निकाली आक्रोश रैली, मांगें नहीं माने जाने पर आगामी चुनाव में सरकार को सबक सिखाने की दी चेतावनी

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राजधानी जयपुर में रविवार को कर्मचारियों का सैलाब उमड़ा । प्रदेश भर से सरकारी कर्मचारी अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर जयपुर में जुटे। यहां आक्रोश रैली के जरिए कर्मचारियों ने हुंकार भरी और मांगें नहीं माने जाने पर आगामी चुनाव में सरकार को सबक सिखाने की चेतावनी भी दी ।

बता दे की राजस्थान सरकार की ओर से कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का एरियर गत एक जनवरी से देने की घोषणा को कर्मचारी संगठनों ने ठुकराया दिया और इसके विरोध में आज यहां आक्रोश रैली निकाली।  राज्य सरकार ने एक दिन पहले ही गत अक्टूबर से वेतनमान देने की पूर्व घोषणा को बदलते हुए एक जनवरी 2017 से कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ देने की घोषणा की थी। साथ ही इसी अवधि का बकाया तीन किस्तों में देने का एलान किया था लेकिन कर्मचारी इस पर मानने को तैयार नहीं है। कर्मचारियों की मांग है कि सातवें वेतनमान का बकाया एक जनवरी 2016 से दिया जाए।

राज्य सरकार की घोषणाओं का कर्मचारी आन्दोलन पर कोई असर नहीं हुआ और आज आक्रोश रैली निकाल कर आन्दोलन को जारी रखने की चेतावनी दी है। प्रदेश भर से आए कर्मचारी पहले रामनिवास बाग में एकत्र हुए और वहां से रैली के रूप में सिविल लाइन रेलवे फाटक के पास पहुंचे।

यहां पर आयोजित कर्मचारियों की सभा को संबोधित करते हुए अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक आयुदान सिंह कविया और सह संयोजक गजेन्द सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने कर्मचारी आन्दोलन को कमजोर करने के लिए सातवें वेतनमान का बकाया गत एक जनवरी से देने की एकतरफा घोषणा की है जो मंजूर नहीं है।

उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति के सात सूत्री मांग पत्र पर जब तक कोई समझौता नहीं हो जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। कर्मचारियों की रैली में सचिवालय कर्मचारी संघ ने भी कदम से कदम मिलाया।

कर्मचारी राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने पर अड़ हुए थे लेकिन बाद में कर्मचारियों के शिष्टमंडल ने अशोक नगर थाने में सरकार की ओर से आए वित्त और कार्मिक विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया। सिविल लाइन्स फाटक के पास ही कर्मचारियों की सभा को प्रदेश भर के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने सम्बोधित करते हुए केंद्र के समान वेतन लाभ देने की मांग रखी। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो सरकार के चार साल पूरे होने पर आठ दिसम्बर से मनाए जाने वाले जश्न में कर्मचारी भाग नहीं लेंगे। अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक  करें।

 

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