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दिव्यांग लोगों को सहानुभति नहीं की संबल की है आवश्यकता : चतुर्वेदी

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राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि दिव्यांग लोगों को सहानुभति नहीं संबल की आवश्यकता है और इसके लिये समाज को आगे आना चाहिए। विश्व दिव्यांग दिवस (वर्ल्ड डिसएबिलिटी डे) के अवसर पर आयोजित राज्यस्तरीय पुरस्कार वितरण एवं सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए चतुर्वेदी ने दिव्यांगजनों को संबल देने के लिये समाज को आगे आने का आहवान करते हुए कहा कि समाज दिव्यांगजनों से जुड़ने का प्रयास करे।

उन्होंने कहा कि पैरालम्पिक खेलों में दुनिया में भारत के दिव्यांगों खिलाडियों ने सबसे अधिक स्वर्ण पदक जीत कर एक कीर्तिमान स्थापित किया है। लक्ष्य की प्राप्त करने के लिये नृत्य, खेलों सहित कई क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखाई है।

उन्होंने कहा कि मजबूत देश, सशक्त समाज के निर्माण के लिये शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक दृष्टि से पिछडे लोगों को बराबर लाने की जरूरत है। यह भूमिका केवल सरकार की नहीं बल्कि सम्पूर्ण समाज की है।

चतुर्वेदी ने कहा कि दिव्यांगों को शिक्षा का ऐसा वातावरण मिले जहां उनके जीवन का पूर्ण विकास हो सके इसके लिये सरकार जयपुर में दिव्यांगों के लिये जल्दी एक विश्वविद्यालय बनाने का प्रयास कर रही है इसके लिये उपयुक्त जमीन देखकर उसकी शुरूआत की जायेगी। दिव्यांगों की सुविधाओं के विकास के लिये जयपुर के जामडोली में दिव्यांगों के लिये एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र जल्द शुरू किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के लिये उपयुक्त वातावरण सुनिशिचत करने के लिये एक संस्थान के सहयोग से जामडोली में रूम हीटर, गीजर की व्यवस्था की गई है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सुगम्य भारत अभियान के तहत जयपुर की 100 भवनों को दिव्यांगों के लिये सुगम बनाने के लिये चिन्हित किया गया है और केंद्र सरकार से लगभग 50 करोड की राशि भी प्राप्त हो चुकी है। जल्द ही जयपुर के सभी चिन्हित भवनों में दिव्यांगों के लिये रैंप, आदि की सुविधाओं को विकसित किया जायेगा। दिव्यांगों की वैब पोर्टल का कार्य पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे दिव्यांगों को राज्य सरकार की योजनाओं के तहत सुविधाओं का लाभ पहुंचाया जा सके।

उन्होंने कहा कि संभतया: राजस्थान देश में ऐसा पहला ऐसा राज्य है जो पंडित दीन दयाल उपाध्याय विशेष योज्ञजन शिविर चला रहा है और दिव्यांगों को पंजीकृत कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। राजस्थान में दिव्यांगों को नौकरी के लिये चार प्रतिशत का आरक्षण दिया जायेगा।

उन्होंने कहा कि जून माह में शुरू किये गये शिविर में अब तक लगभग नौ लाख दिव्यांगजनों को पंजीकृत किया गया है। इनके मेडिकल प्रमाणपत्र बनाने का कार्य जारी है।

चतुर्वेदी ने कहा कि पिछले चार सालों में राज्य सरकार ने दिव्यांगों की पेंशन को 500 रूपये से बढाकर 750 रूपये की गई है। दाम्पत्य सूत्र में दी जाने वाली को 25 हजार से बढाकर 50 हजार रूपये करने का तय किया गया है। अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक  करें।

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