शनि के नाम का हौवा या डर जनमानस में व्याप्त है। ज्यादा डर गोचर के शनि का होता है। क्योंकि गोचर के शनि से ही साढ़ेसाती को देखा जाता है। साढ़ेसाती के अलावा शनि का ढ़ैय्या भी काफी बदनाम है। शनि की साढ़ेसाती तब होती है जब कि आपकी जन्म या नाम राशि से शनि पहला दूसरा या बारहवें घर में हो। और ढ़ैय्या उसे कहते हैं जब कि शनि चौथे घर में या फिर आठवें घर में हो। इसके अलावा दक्षिण भारत में पांचवें घर का शनि खराब माना जाता है। खराब भी इतना की दक्षिण भारत के ज्योतिषियों की मान्यता है कि पांचवां शनि मिट्टी के कटोरे में भोजन करने के लिए व्यक्ति को विवश कर देता है।
इस प्रकार से लगभग प्रत्येक व्यक्ति शनि की दशा में ही रहता है। लेकिन अनुभव में आता है कि जब जन्म कुंडली में शनि की महादशा या अन्तरदशा हो तो ही शनि से ज्यादा पीड़ा होती है। हालाँकि ज्योतिष में हार्ड एण्ड फास्ट कुछ भी नहीं है, लेकिन ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि शनि की महादशा में पद और मान की हानि होती है। इसमें भी यह शर्त है जन्म कुंडली में शनि पीड़ित हो। यदि शनि शुभ स्थिति में है या वह बृहस्पति से प्रभावित है तो उसकी अन्तरदशा या महादशा अशुभ नहीं होगी। और ऐसे लोगों को स्थायी संपत्ति की प्राप्ति होती है।
अब प्रश्न उठता है कि यदि शनि जनित पीड़ा हो तो उपाय क्या करना चाहिए। आमतौर पर शनि दर्शन, तेल और काली वस्तुओं का दान और श्रीहनुमान जी की उपासना जैसे उपायों को करने की सलाह दी जाती है। यह निश्चित है कि शनि के दान से शनि की शान्ति होती है। लेकिन इन उपायों से शनि कभी प्रसन्न नहीं होगा। इसके अलावा जिन सज्जनों के जन्मांग में शनि कारक है लेकिन अच्छे परिणाम नहीं दे रहा है, उन्हें दान का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
दूसरी बात यह है कि यदि आप श्रीहनुमानजी की उपासना शनि की शान्ति के लिए कर रहे हैं तो यह आपकी बहुत बड़ी भूल है। क्योंकि श्रीहनुमानजी ने शनि महाराज को परास्त किया था, इसलिए श्रीहनुमानजी का नाम मात्र लेने से ही शनि को मानसिक तनाव होता है। इसलिए इस उपाय का कोई औचित्य नहीं है। इससे तो शनि महाराज और ज्यादा चिड़ जायेंगे। तो फिर क्या किया जाए। मैंने जो अनुभव किया उसके आधार पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना से शनि जनित सब तरह के दोषों से मुक्ति मिल सकती है। इसका कोई विशेष विधान नहीं है केवल शनिवार को माह में एक बार सन्ध्या के समय भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। अलग से कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है आपने वहां हाजरी लगा दी है जहाँ शनि महाराज खुद हाजरी लगाते हैं। बाकी आप मेरे कहने का मन्तव्य स्वयं समझ जाएं।
ज्योतिर्विद् सत्यनारायण जांगिड़
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