जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में आयुर्वेदीय पंचकर्म के महत्वपूर्ण अंग नस्य कर्म को गिनीज वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज कराने के लिये एक हजार चिकित्सकों द्वारा एक हजार व्यक्तियों पर नस्य कर्म विधि अपनायी जायेगी।
संस्थान के पंचकर्म विभागाध्यक्ष डा़ गोपेश मंगल ने आज यहां बताया कि यह प्रक्रिया आगामी 14 सितम्बर से यहां आयोजित तीन दिवसीय प्रथम आयुर्वेदीय युवा महोत्सव के दौरान की जायेगी। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में देश भर से तीन हजार से अधिक प्रतिभागी भाग लेंगे।
उन्होंने बताया कि महोत्सव के दूसरे दिन आयुर्वेदीय पंचकर्म के महत्वपूर्ण अंग नस्य कर्म के गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड के लिये एक हजार चिकित्सक संयुक्त रूप से एक हजार व्यक्तियों पर नस्य कर्म करेंगे।
उन्होंने बताया कि पंचकर्म वर्णित नस्य कर्म मुख्यत: शरीर के ऊपरी भाग में होने वाले रोगों के साथ-साथ शरीर की व्याधियों पर चिकित्सीय प्रभाव करता है। संस्थान में गिनीत्र बुक ऑफ़ वल्र्ड रिकार्डस सम्बन्धित विभिन्न तैयारियां प्रारम्भ की जा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि वल्र्ड रिकॉर्ड का आयोजन 15 सितम्बर को प्रात: 7:30 बजे से 10:30 बजे तक किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इसके तहत नेशनल आयुर्वेद स्टूडेंट एण्ड यूथ एसोसिएशन तथा आयुष मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में आयुर्वेद में वर्णित नस्य कर्म के गिनीत्र बुक ऑफ़ वल्र्ड रिकॉर्ड से सम्बन्धित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।