पाली : केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमापार से बार-बार सीजफायर और आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है।
फ्लैग मीटिंग के बाद भी पड़ौसी देश शांति नहीं चाहता तो पहली गोली उस तरफ से चलने के बाद हम उसका माकूल जवाब देंगे। सेना के पराक्रम पर देशवासियों को भरोसा होना चाहिए। सरकार देश के मानसम्मान पर चोट नहीं आने देगी।
राजनाथ यहां मंगलवार को खरोकड़ा गांव में महाराणा प्रताप सेवा समिति और राणावत परिवार की ओर से महाराणा प्रताप की 24 फीट ऊंची प्रतिमा के अनावरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के तीन वर्ष के शासनकाल में भारत का सिर दुनिया में ऊंचा उठा है। अब भारत कमजोर देशों की श्रेणी में नहीं आता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि वर्ष,2022 तक भारत को समृद्धशाली बनाया जाएगा। किसानों की आमदनी दुगनी की जाएगी, बेरोजगारों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो इसके लिए केन्द्र और राज्य सरकार प्रयत्नशील है। गृह मंत्री ने कहा कि 2022 तक देश में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसके सिर पर छत नहीं हो।
प्रताप स्वाभिमानी, स्वतंत्रता प्रेमी, मातृप्रेमी : माथुर
सांसद ओम माथुर ने कहा कि महाराणा प्रताप स्वाभिमानी, स्वतंत्रता प्रेमी, मातृप्रेमी रहे। उन्होंने संकल्प लिया कि विदेशी शासकों को भारत से बाहर खदेडऩा है। मातृभूमि के लिए महल छोड़ा, खाट छोड़ी तथा वन में भटक 25 वर्ष तक संघर्ष किया।
केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि महाराणा प्रताप वीरता, त्याग और बलिदान के प्रेरणा स्त्रोत रहे उन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए जंगल में रहकर समय निकाला। इस अवसर पर जोधपुर सांसद गजेन्द्रसिंह शेखावत, पाली पूर्व सांसद पुष्प जैन, शम्भूसिंह खेतासर, विधायक ज्ञानचन्द पारख, केसाराम चौधरी, संजना आगरी, हबीबसिंह,नगर परिषद सभापति महेन्द्र बोहरा, पाबूसिंह राणावत, करणसिंह नैतरा, मानसिंह राठौड़, सरपंच हनवंतसिंह, इन्द्रसिंह, देवीसिंह भाटी, शैतानसिंह आदि कई लोग उपस्थित थे।
प्रताप में स्वतंत्रता के लिए साहस और जज्बा था
राजनाथ ने कहा कि महाराणा प्रताप ने मातृभूमि की रक्षा के लिए सदैव संघर्ष करते हुए विदेशी शासकों की अधीनता स्वीकार नहीं की। प्रताप जैसे रणकुबेरों और मातृभूमि रक्षकों की प्रेरणा के कारण ही भारत में स्वाधीनता के प्रति क्रांति जागृत हुई और आगे चलकर भारत स्वतंत्र हुआ। राजस्थान की धरती की बात ही कुछ और है यहां मीरा की भक्ति, पन्नाधाय की युक्ति,भामाशाह की सम्पत्ति ओर महाराणा प्रताप की शक्ति हमेशा ही याद की जाती रहेगी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहिम लिकन की माता ने भी हल्दी घाटी की मिट्टी लाने की बात अपने पुत्र से कही थी। रतनसिंह और ओम माथुर मूर्ति का अनावरण करने का प्रस्ताव लेकर आए तब से ही मन में यह भावना जागृत हुई कि गांव भले ही छोटा हो लेकिन महाराणा प्रताप जैसे शूरवीर की मूर्ति जहां लगी वहां के लोग बधाई के पात्र है।
– राकेश रावल