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3 बांग्लादेशियों की हुई वतन वापसी

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राजस्थान में अलवर कारागाह के डिटेक्सन सेंटर से आज तीन बांग्लादेशी नागरिकों को अपने वतन वापिस भेज दिया गया। वर्षो से अपनों से मिलने की आस लगाए बैठे बांग्लादेश के नागरिकों का आखिरकार परिजनों से मिलने का सपना साकार हो गया। ये बंगलादेशी भारत की सीमा में प्रवेश कर गये थे जिन्हें विभिन्न अदालतों द्वारा सजा सुनाई गई थी। सजा पूरी होने के बाद से अलवर स्थित विदेशी नागरिक अभिरक्षा गृह में वतन वापसी का इंतजार कर रहे थे।

पिछले दिनों बांग्लादेश हाई कमीशन की टीम ने अलवर डिटेक्सन सेंटर का दौरा किया था और इसके बाद उन्होंने सभी बंग्लादेश के नागरिकों के परिजनों से संपर्क किया और उनके दस्तवेज तैयार करवा कर उनका वेरिफिकेशन करवाया गया। इसके बाद भारत सरकार और बांग्लादेश सरकार की सहमति से तीन बांग्लादेशी नागरिक शेख अरीफुल हक, मोहम्मद कमाल और मोहम्मद सलाउद्दीन को बांग्लादेश भेजने के लिए अलवर से रवाना कर दिया गया। इन तीनों को बंगाल बॉर्डर पर बांग्लादेश को सुपुर्द किया जाएगा।

गौरतलब है कि अलवर के डिटेक्सन सेंटर में 17 विदेशी नागरिक मौजूद थे जिनमें से दो बांग्लादेशी नागरिकों को पूर्व में भेजा जा चुका है। जनवरी में ट्रांजिक्ट कैम्प में चार बांग्लादेशी थे जिनमे शेख आरिफूल हक एवं मोहमद कमाल 27 अक्टूबर 2016 से तथा सलाउद्दीन उर्फ़ राजू 21 दिसम्बर 2016 से और हबीब अल्लाह 28 दिसम्बर 2016 से वतन जाने की घडी का इन्तजार कर रहे थे। इनके अलावा पाकिस्तान के 9, एक श्रीलंका, एक बर्मा,एक ईरान और एक कैमरून का नागरिक वतन जाने का इंतजार में है। अन्य देश के उच्चायोग अपने नागरिकों की वैरिफिकेशन नही कर रहे है जिसकी वजह से उनकी वतन वापसी अटकी हुई है।

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2017 में विदेशी नागरिको ने वतन वापसी को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी और 7 दिन तक भूख हड़ताल रखी गई। इसके बाद राज्य सरकार और भारत सरकार के ने सभी देश के हाई कमीशन को पत्र लिखा था। जिसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल समाप्त की थी।

पुलिस अधीक्षक राहुल प्रकाश ने बताया कि डिटेक्सन सेंटर से विदेशी नागरिकों को भेजने की प्रक्रिया चलती रहती है। जिन देशों के नागरिक है वहां के उच्चायोग उनकी काउंसलिंग करता है और उनके परिवार से बातचीत कर वेरिफिकेसन करने के बाद वीजा तैयार करवाता है। इसके बाद उन्हें सुपर्दगी की कार्यवाही की जाती है। आज तीन बंगलादेश के नागरिको को अलवर से रवाना कर दिया है। जिन्हें 30 अगस्त को बांग्लादेश को सुपुर्द कर दिया जाएगा।

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