मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी या वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। अंग्रेजी दिनांक के अनुसार यह एकादशी 23 दिसम्बर 2023 को है। शास्त्रों के अनुसार यह एकादशी भगवान श्रीविष्णु की पूजा के लिए विशेष फलदायी कही गई है। इस दिन जो सज्जन व्रत रखते हुए पूजा करते हैं उन्हें श्रीविष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। वैसे वैष्णव समाज, जो कि भगवान श्रीविष्णु के विशेष उपासक होते हैं, उनके लिए यह दिन किसी पर्व से कम नहीं है।
भारतीय जनमानस में प्रतिदिन कोई न कोई व्रत या त्यौहार होता है। क्योंकि हमारी धार्मिक समृद्धता विश्व में अग्रणी है। ऋषि-मुनियों ने सभी घटनाओं को विशेष धार्मिक अनुष्ठानों से जोड़ दिया जिससे कि लोगों को धर्म के वैज्ञानिक पक्षों की समझ बनी रहे। वैकुंठ एकादशी के संदर्भ में भी हमारे शास्त्रों में अनेक घटनाएं प्रचलित हैं जो कि इसके महत्व को इंगित करती हैं। सबसे प्रसिद्ध देवी योगमाया की है। इसके अलावा अयोध्या के राजा अंबरिश और दुर्वासा ऋषि के संबंध में भी एक कथा का उल्लेख आता है।
पुराणों में उल्लेख आता है कि मुरासुर नामक एक असुर ने देवताओं के नाक में दम कर रखा था। हालांकि सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से मुरासुर के वध का आग्रह किया लेकिन भगवान भी उसका वध नहीं कर सके। अन्ततः भगवान श्रीविष्णु ने अपनी योगमाया से एक देवी की रचना की जिसने मुरासुर का वध किया। मान्यता है कि भगवान श्रीविष्णु ने प्रसन्न होकर देवी योगमाया को एक वरदान दिया कि वे एकादशी के व्रत करने वाले सभी सज्जनों के पापों को नष्ट करने में सक्षम होंगी। पद्म पुराण के अनुसार इस दिन एकादशी का व्रत रखने और श्रीविष्णु की पूजा करने वालों को सीधे वैकुंठ की प्राप्ति होती है। इस घटना के उपरान्त ही वैकुंठ एकादशी अस्तित्व में आई।
भगवान श्रीविष्णु में परम आस्था रखने वालों को वैष्णव भी कहा जाता है। इनकी मान्यता है कि इस दिन भगवान अपने आवास अर्थात् वैकुंठ के द्वारों को खुला रखते हैं। इसलिए इस दिन भगवान श्रीविष्णु की पूजा का खास महत्व है। इस दिन वैष्णव धर्म में श्रीविष्णु के मंदिरों में विशेष पूजा का कार्यक्रम रखा जाता है।
एकादशी व्रत को करने के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग मान्यताएं है। कुछ क्षेत्रों में केवल पानी पीकर ही व्रत रखा जाता है। तो कुछ क्षेत्रों में एक समय भोजन किया जाता है। तो कुछ क्षेत्रों में मात्र फलाहार पर व्रत किया जाता है। इसलिए लोकाचार के आधार पर व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। यदि आपका स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं है तो एक समय भोजन या फलाहार के साथ व्रत रख सकते हैं। लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी एकादशी के व्रत में चावल या चावल से बने सभी तरह के खाद्य पदार्थों को खाने से परहेज करना चाहिए। ज्यादातर लोग निराहार रह कर व्रत करते हैं। व्रत की पहली रात्रि में श्रीविष्णु नाम का संकीर्तन होता है। दूसरे दिन व्रत के बाद सुख और समृद्धि की आकांक्षा के लिए श्रीविष्णु की पूजा की जाती है।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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