शनि के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय

शनि के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय

शनि के दुष्प्रभाव से कैसे बचें

वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि लोहे का व्यापार, कोयला, लकड़ी, नौकरी, बिल्डिंग मैटेरियल और मशीनरी आदि का प्रतिनिधित्व करता है। शनि ग्रह उदासीनता और निराशा का प्रतीक है। जब जीवन में शनि का प्रभाव हो तो आलस्य की समस्या रह सकती है। शनि से प्रभावित लोगों की सबसे अच्छी पहचान तो यही है कि ये लोग कभी भी अपना काम समय पर पूरा नहीं करेंगे। शनि वृद्धावस्था का कारक है इसलिए शनि प्रभावित लोगों का भाग्योदय बहुत विलंब से होता है। मकर और कुंभ शनि की स्वराशियां हैं। मेष राशि में शनि नीचगत होता है और तुला में उच्चस्थ। वृषभ, तुला, मकर और कुंभ लग्न में शनि भाग्यकारक होता है।

शनि ग्रह बहुत ही निष्ठुर है और अपनी विंशोत्तरी महादशा में व्यक्ति के पूर्व जन्म के पापों का फल प्रदान करते हैं। अब यह तो स्वाभाविक बात है कि पापों का प्रतिफल तो बुरा ही होगा। इसलिए शनि की महादशा में व्यक्ति का बिजनेस बन्द हो जाता है। मानसिक परेशानी होती है और अपने से नीचे लोगों के सामने लज्जित होना पड़ता है। जबान खराब होती है अर्थात किये गये वादों पर व्यक्ति कायम या स्थिर नहीं रह पाता है। हालाँकि यह सब जन्म कुंडली के आधार पर निर्भर करता है। लेकिन जब हमें यह भली भांति ज्ञात हो जाए कि जीवन पर शनि का प्रभाव है तो कोशिश करनी चाहिए कि कोई बिजनेस नहीं किया जाए। इस स्थिति में नौकरी करना अधिक लाभदायक होता है।

शनि की दशा जीवन में कई तरह से आ सकती है। प्रमुख रूप से विंशोत्तरी दशा या अन्तर्दशा, गोचर में शनि की साढ़े साती या गोचर में शनि का ढैया। शनि की विंशोत्तरी महादशा 19 वर्ष की होती है। यदि शनि की महादशा नहीं आए तो दूसरे ग्रहों में शनि की अन्तर दशा आ सकती है। कमोबेश यह प्रभाव शनि की साढ़ेसाती या ढैया का होता है। जब शनि आपकी राशि से बारहवें, पहले और दूसरे स्थान पर हो तो साढ़ेसाती होती है। इसी प्रकार से जब गोचर का शनि आपकी जन्म या नाम राशि से चौथा या आठवां हो तो इसे शनि की ढैया कहा जाता है। ढैया भी साढ़ेसाती या विंशोत्तरी दशा की ही तरह नकारात्मक या अशुभ हो सकती है।

क्या करें उपाय

यह आवश्यक नहीं है कि शनि की महादशा या अंतर्दशा खराब ही व्यतीत हो। बहुत से ऐसे मामले भी होते हैं जिनमें शनि की महादशा बहुत शुभ फल देती है। लेकिन यह सब जन्म कुंडली में आधार पर ही आकलन किया जा सकता है। यहां केवल उस स्थिति की चर्चा की जा रही है जब कि शनि अशुभ स्थिति में होकर परेशानी पैदा कर रहा हो। जिन सज्जनों को शनि की महादशा बहुत खराब चल रही हो उन्हें निम्न प्रकार के उपाय करने से राहत मिल जाती है:-

– काली वस्तुओं और काले रंग का परित्याग करें।

– घर और कार्य स्थान से लोहे का कबाड़ हटा दें।

– यदि बिजनेस में लगातार नुकसान होने लगे तो नौकरी करें। शनि को दासता बहुत पसंद है।

– शनि के यन्त्र को लोहे पर बना कर गले में धारण करें।

– अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार कोई भी वस्तु अपने वजन के बराबर शनिवार को संध्या के समय दान करें।

– शनि के 23000 तांत्रिक मंत्रों का जाप, दशांश हवन, शनि की पूजा और शनि के दान का अनुष्ठान संपन्न करें। ऐसा करने से निश्चित ही शनि की शान्ति होती है। और जीवन से समस्याओं का निवारण हो जाता है।

– भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें।

– अपने मित्रों और परिजनों की सलाह से ही काम करें। अपनी इच्छा को स्वयं पर थोपे नहीं।

Astrologer Satyanarayan Jangid

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