कब है बुद्ध पूर्णिमा और क्या है इसका महत्व

कब है बुद्ध पूर्णिमा और क्या है इसका महत्व
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सामान्यतया विक्रम संवत् के वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। मान्यता है कि गौतम बुद्ध के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटनाएं इसी दिन हुई थी। गौतम बुद्ध का जन्म, उन्हें ज्ञान की प्राप्ति और और उनका स्वर्गवास इसी पूर्णिमा को हुआ था। इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। हालांकि हिन्दू धर्म में भी इस पूर्णिमा का विशेष महत्व है।

कब हुआ था गौतम बुद्ध का जन्म

भगवान गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। इसलिए बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए वैशाख पूर्णिमा का दिन एक वार्षिक उत्सव होता है। आप इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि किसी बोध धर्मी के लिए यह एक प्रमुख त्योहार है। वैशाख पूर्णिमा के दिन ईसा पूर्व 563 में गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इनका जन्म एक राजपरिवार में हुआ जिसे शाक्य वंश या राज कहा जाता था। लुम्बिनी नामक स्थान पर गौतम बुद्ध का जन्म हुआ, जो कि वर्तमान में नेपाल में है।

भारत में बौद्ध धर्मावलंबियों का पवित्र स्थान

बिहार के बोधगया नामक स्थान का बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि अनेक वर्षों के भटकाव के बाद महात्मा बुद्ध को बोधगया नामक स्थान पर बुद्धत्व या परम ज्ञान की प्राप्ति हुई। यह दिन वैशाख पूर्णिमा का था और स्थान बिहार का बोधगया। प्रतिवर्ष वैशाख पूर्णिमा पर विश्व भर से बौद्ध धर्म के लोग यहां आते हैं। यहां कुशीनगर में महानिर्वाण विहार पर मेले का आयोजन होता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन अपने घरों में दीपक जला कर रोशनी करते हैं और घर और विहारों को फूलों से सजा कर खुशी व्यक्त की जाती है।

कब है बुद्ध पूर्णिमा

बौद्ध धर्म विश्व में एक प्रमुख धर्म के रूप में स्थापित है। और इसके अनुयायी भारत के भारत के अलावा श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, चीन, नेपाल, कंबोडिया और म्यांमार आदि विश्व के अनेक देशों में है। इसलिए लगभग समस्त विश्व में बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है। इसके अनुयायी बहुत से धार्मिक रीति-रिवाजों का आयोजन करते हैं। वर्ष 2024 में 23 मई को वैशाख पूर्णिमा है। गुरुवार का सूर्योदय के साथ ही पूर्णिमा तिथि का उदय होगा और सायं 7 बजकर 23 मिनट तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। तिथि क्षय नहीं होने के कारण पूरा दिन ही शुभ है।

हिन्दू धर्म में वैशाख पूर्णिमा का महत्व

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को पीपल पूर्णिमा कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में लिखा है कि वृक्षों में मेरा निवास पीपल में है। अतः वैशाख पूर्णिमा को भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा का आयोजन भी किया जाता है। इसी पूर्णिमा को वैशाख स्नान पूर्ण होता है। जो लोग बेरोजगार हैं या जिनको अपने बिजनेस में बरकत नहीं होती है उन्हें इस दिन पीपल की पूजा अवश्य करनी चाहिए। जो पीपल की पूजा नहीं कर सकते हैं उन्हें अपने घर में भगवान श्री विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

Astrologer Satyanarayan Jangid
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