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आप हमें भाषण न दें......,अबू सलेम की याचिका पर केंद्र के हलफनामे से नाराज SC

गैंगस्टर अबू सलेम की याचिका पर केंद्र के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने असंतोष जताया है। कोर्ट ने कहा है कि 5 मई को मामला विस्तार से सुना जाएगा। सलेम ने 2 मामलों में खुद को मिली उम्रकैद को चुनौती दी है। दावा किया है कि पुर्तगाल से हुए उसके प्रत्यर्पण में तय शर्तों के मुताबिक उसकी कैद 25 साल से अधिक नहीं हो सकती। इसलिए, उसे 2027 में रिहा किया जाए।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के हलफनामे की भाषा पर आपत्ति जताई

1993 बॉम्बे ब्लास्ट के दोषी गैंगस्टर अबू सलेम की उम्रकैद की सजा के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्रीय गृह मंत्रालय के हलफनामे की भाषा पर आपत्ति जताई। अदालत ने कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि आप हमें भाषण न दें। न्यायमूर्ति एसके कौल ने गृह मंत्रालय से कहा, "न्यायपालिका को भाषण मत दो। जब आप हमें कुछ तय करने के लिए कहते हैं तो हम इसे सहजता से नहीं लेते हैं।"

 पीठ ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामे में भाषा पर आपत्ति जताई

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अबू सलेम की उम्रकैद के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामे में भाषा पर आपत्ति जताई। अदालत ने कहा कि जो मुद्दे आपको हल करने हैं, फैसला आपको करना है आप उस पर भी फैसला लेने की जिम्मेदारी हम पर ही डाल देते हैं।  हमें ये कहते हुए खेद है कि गृह सचिव हमें ये ना बताएं कि हमें ही अपील पर फैसला लेना है। 

अदालत ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र को स्पष्ट होना चाहिए कि वे क्या कहना चाहते हैं? अदालत ने कहा, "हमें गृह मंत्रालय के हलफनामे में 'हम उचित समय पर निर्णय लेंगे' जैसे वाक्य पसंद नहीं हैं।" गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा था कि सरकार के लिए यह उचित समय नहीं है कि वह फैसला करे और सुप्रीम कोर्ट फैसला करे। अबू सलेम की याचिका में कहा गया है कि पुर्तगाल की अदालतों को भारत की गारंटी के अनुसार उसकी जेल की सजा 25 साल से अधिक नहीं हो सकती।