किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के जरिए देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार ने अगले पांच साल में 10,000 नए एफपीओ बनाने की योजना को मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने बुधवार को केंद्र सरकार की नई योजना ‘किसान उत्पादक संगठन के गठन व संवर्धन’ को मंजूरी दी जिसके तहत देशभर में 10,000 नए एफपीओ बनाए जाएंगे। इसके लिए इस अवधि में 4,496 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है।
इस योजना के तहत प्रत्येक एफपीओ के गठन से लेकर पांच साल तक के लिए उसके संचालन पर 2024-25 से लेकर 2027-28 की अवधि के दौरान 2,369 करोड़ रुपये देनदारी की व्यवस्था की गई है।
शुरुआत में एफपीओ के गठन और संवर्धन के लिए तीन एजेंसियां होंगी जिनमें लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) शामिल हैं।
मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी मीडिया को देते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि 10,000 नए एफपीओ 2019-20 से लेकर 2023-24 के दौरान बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
तोमर ने कहा, ‘एफपीओ बनने से किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ेगी जिससे उनके लिए गुणवत्तापूर्ण कृषि आगत, प्रौद्योगिकी व कर्ज प्राप्त करना आसान होगा व बाजार में उनकी पहुंच सुगम हो जाएगी और इससे उनकी आय में इजाफा होगा।’
मंत्री ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि छोटे और सीमांत किसानों की आर्थिक स्थिति वैसी नहीं होती है कि वे सक्षमता से उत्पादन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, सेवा व बाजार समेत मूल्यवर्धन का लाभ उठा सकें, लेकिन एफपीओ के जरिए यह सब आसान हो जाएगा।
राज्य सरकारें भी चाहें तो केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (डीएसी एंड एफडब्ल्यू) के परामर्श से अपनी एजेंसी को इसके लिए नामांकित कर सकती हैं।
इसका कार्यान्वयन करने वाली एजेंसियों को डीएसी एंड एफडब्ल्यू कलस्टर और राज्यों का आवंटन करेगा जो राज्यों में कलस्टर आधारित व्यापार संगठन (सीबीबीओ) का गठन करेंगी।
ये सीबीबीओ ऐसे मंच होंगे जिससे एफपीओ के संवर्धन के मसलों की पूरी जानकारी मिलेगी।
एकीकृत पोर्टल और सूचना प्रबंधन व निगरानी के जरिए पूरी परियोजना के मार्गदर्शन, डाटा संग्रहण और अनुरक्षण के लिए एसएफएसी के पास एक राष्ट्रीय परियोजना प्रबंधन एजेंसी होगी।
सरकार ने एक बयान में कहा कि शुरुआत में मैदानी इलाके में एक एफपीओ में न्यूनतम 300 सदस्य होंगे जबकि पूर्वोत्तर और पहाड़ी इलाकों में इसके सदस्यों की न्यूनतम संख्या 100 होगी।
नाबार्ड के पास 1,000 करोड़ रुपये तक की क्रेडिट गारंटी फंड होगा जिसमें नाबार्ड और डीए एंड एफडब्ल्यू का बराबर योगदान होगा। इसी प्रकार एनसीडीसी के पास 500 करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी फंड होगा जिसमें एनसीडीसी और डीए एंड एफडब्ल्यू का समान योगदान होगा।