बहुचर्चित जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) का 11वां संस्करण आज मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गैरमौजूदगी में यहां शुरू हुआ। मुख्यमंत्री के नदारद रहने पर राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा और ब्रिटिश अमेरिकी निबंधकार एवं उपन्यासकार पिको अय्यर ने समारोह का उद्घाटन किया।
दिग्गी पैलेस में आयोजित इस पांच दिवसीस समारोह में रंगारंग संगीत एवं नृत्य प्रस्तुतियों के बीच 350 से अधिक वक्ता विविध विषयों पर अपने विचार रखते हुए चर्चा करेंगे।
निबंधकार पिको अय्यर ने अपने भाषण में साहित्य की भूमिका को सराहा, विशेषकर मौजूदा समय में जब ‘‘उपन्यासकारों की जगह कवि लेते जा रहे हैं और उपन्यासकारों की मल्टीमीडिया उपकरण।’’ उन्होंने कहा, ‘‘साहित्य पहले से कई अधिक अपरिहार्य होता जा रहा है। यात्रा प्रतिबंध के दौर में, साहित्य और अधिक आवश्यक हो गया है क्योंकि यह सीमाओं से परे है।’’
अय्यर ने कहा कि विश्व को बेहतर स्थान बनाने की शक्ति साहित्य में है, न कि ‘‘युद्ध और ड्रोन हमलों’’ में..। उत्सव के आयोजक संजय के राय ने कहा कि ज्ञान और संस्कृति समाज में बदलाव लाने का एकमात्र रास्ता है और संवैधानिक ढांचे के ताने-बाने में असंतोष आवश्यक है।
लेखक एवं उत्सव के सह-प्रबंधक विलियम डेलरिम्पल ने कहा कि नेटफ्लिक्स के दौर में लोग अब भी गंभीर उपन्यास पसंद करते हैं।
कविता इस बार जेएलएफ की प्रमुख थीम है। इसमें महिला केंद्रित लेखन पर भी सत्र होंगे। दिग्गी पैलेस के अलावा आमेर किला और हवा महल में गुलाबी शहर की समृद्ध सांस्कृतिक एवं स्थापत्य विरासत से जुड़े विशेष समारोह आयोजित किए जाएंगे।
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