बारिश और भूस्खलन के कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की स्थिति भयावह बनी हुई है। नदी नाले पूरे उफान पर है। बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों में भर चूका है। भूस्खलन के कारण नेशनल हाईवे बंद पड़े है। नदियों के आस-पास के इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने से नदियां उफान पर आ गईं है। वहीं मोरी तहसील में बादल फटने से 17 लोगों की मौत हो गई है।
प्रसाशन ने बाढ़-भूस्खलन की हाहाकारी स्थिति को देखते हुए स्कूल-कॉलेज को बंद कर दिया है। जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती तब तक बंद ही रहेंगे। हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले के छोटा दारा, छतरू और ग्राम्फू क्षेत्रों से विदेशियों सहित लगभग 150 पर्यटकों को बचाया गया है। ग्राम्फू में लगातार बारिश के कारण एक सड़क बह गई।
भूस्खलन के कारण केलांग और सिस्सू में लगभग 400 पर्यटक अभी भी सड़क के बीच फंसे हुए हैं। लगातार हो रही बारिश से इलाके की सड़कें धुल गई हैं। कुल्लू में लगातार बारिश के कारण जिले में बाढ़ आ गई है, जिसमें दो लोगों की जान चली गई है। भारी बारिश के बाद मनाली और कुल्लू के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) 3 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया।
वहीं शिमला में 1500 मेगावाट क्षमता के नाथपा झाकरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक स्टेशन और 412 मेगावाट के रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन में कल रात बिजली उत्पादन फिर से शुरू हुआ। दरअसल, सतलुज नदी में गाद बढ़ने के कारण कल ऑपरेशन स्थगित कर दिया गया था।
चाबा में नदी पर बने फुटब्रिज का एक हिस्सा कल नदी में जल स्तर बढ़ने के कारण टूट गया। इस पुल से शकरा, बालदी, बिंदला और जेडवी गाँव को कनेक्टिविटी मिलती थी। पुल टूट जाने के कारण इन चारों गांव का संपर्क एक दूसरे से टूट गया है।
उत्तरकाशी में मोरी तहसील के अरकोट से दो व्यक्तियों को बादल फटने के बाद देहरादून में सहस्रधारा हेलीपैड लाया गया है। उन्हें दून अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा है। बादल फटने के बाद इलाके में बचाव अभियान के लिए संचार उपकरणों और रस्सियों के साथ मोरी के अरकोट के लिए दो हेलिकॉप्टरों ने उड़ान भरी। तीन मेडिकल टीमें अरकोट भी पहुंची हैं।
मोरी तहसील में बचाव अभियान चल रहा है। वित्त सचिव अमित नेगी, महानिरीक्षक (आईजी) संजय गुंज्याल, और उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशीष चौहान ने क्षेत्र में बादल फटने के बाद अरकोट में स्थिति का जायजा लिया।बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं में आराकोट, माकुडी, मोल्डा, सनेल, टिकोची और द्विचाणु में कई मकान ढह गये थे।