1984 सिख विरोधी दंगे : सज्जन कुमार 31 दिसंबर को कोर्ट में समर्पण कर सकते हैं - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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1984 सिख विरोधी दंगे : सज्जन कुमार 31 दिसंबर को कोर्ट में समर्पण कर सकते हैं

हाई कोर्ट ने गत 21 दिसंबर को सज्जन कुमार के उस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया जिसमें उन्होंने कोर्ट में समर्पण की अवधि 30 जनवरी तक बढ़ाने का अनुरोध किया था।

1984सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में उम्र कैद की सजा पाने वाले कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार 31 दिसंबर को कोर्ट में समर्पण कर सकते हैं क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने यह समय सीमा बढ़ाने का उनका अनुरोध अस्वीकार कर दिया है। सज्जन कुमार के वकील अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील पर शीतकालीन अवकाश के दौरान 31 दिसंबर से पहले सुनवाई की संभावना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट एक जनवरी तक बंद है और दो जनवरी से वहां सामान्य कामकाज शुरू होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हम हाई कोर्ट के फैसले का अनुपालन करेंगे।’’ हाई कोर्ट ने 1984 के दंगों से संबंधित एक मामले में 17 दिसंबर को 73 वर्षीय पूर्व सांसद सज्जन कुमार को शेष सामान्य जीवन के लिए उम्र कैद और पांच अन्य दोषियों को अलग अलग अवधि की सजा सुनायी थी और उन्हें 31 दिसंबर तक समर्पण करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 1984 के दंगों में दिल्ली में 2700 से अधिक सिख मारे गये थे जो निश्चित ही ‘अकल्पनीय पैमाने का नरसंहार’ था।

कोर्ट ने कहा था कि यह मानवता के खिलाफ उन लोगों द्वारा किया गया अपराध था जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था और जिनकी कानून लागू करने वाली एजेंसियां मदद कर रही थीं। कोर्ट ने अपने फैसले में इस तथ्य का जिक्र किया कि देश् के बंटवारे के समय से ही मुंबई में 1993 में, गुजरात में 2002 और मुजफ्फरनगर में 2013 जैसी घटनाओं में नरसंहार का यही तरीका रहा है और प्रभावशाली राजनीतिक लोगों के नेतृत्व में ऐसे हमलों में ‘अल्पसंख्यकों’ को निशाना बनाया गया और कानून लागू करने वाली एजेन्सियों ने उनकी मदद की।

हाई कोर्ट ने गत 21 दिसंबर को सज्जन कुमार के उस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया जिसमें उन्होंने कोर्ट में समर्पण की अवधि 30 जनवरी तक बढ़ाने का अनुरोध किया था। सज्जन कुमार ने यह अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि उन्हें अपने बच्चों और संपत्ति से संबंधित कुछ पारिवारिक मसले निबटाने हैं और सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने के लिए भी समय की आवश्यकता है।

सज्जन कुमार की संलिप्तता वाला सिख विरोधी दंगों का यह मामला दक्षिण पश्चिम दिल्ली की पालम कालोनी के राज नगर पार्ट-I में 1-2 नवंबर, 1984 को पांच सिखों की हत्या और एक गुरूद्वारे को जलाने की घटना के संबंध में है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को उनकी सुरक्षा में तैनात दो सिख अंगरक्षकों द्वारा गोली मार हत्या करने की घटना के बाद दिल्ली और देश के कुछ अन्य राज्यों में सिख विरोधी दंगे भड़क गये थे।

सज्जन कुमार के वकील ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में 22 दिसंबर को दायर अपील की त्रुटियों को दूर कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि चूंकि इस समय सुप्रीम कोर्ट में अवकाश चल रहा है, इसलिए इस पर शीर्ष सुनवाई का अनुरोध करने के लिए उल्लेख करने का भी अवसर नहीं है। ऐसी स्थिति में समय का अभाव है। शर्मा ने बताया कि इस मामले में सज्जन कुमार की पैरवी के लिये उन्हें अभी वरिष्ठ अधिवक्ता की सेवायें भी लेनी है।

दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर रखी है ताकि सज्जन कुमार के पक्ष में एकतरफा कोई आदेश नहीं सुनाया जा सके। हाई कोर्ट ने इस मामले में सज्जन कुमार को बरी करने का निचली कोर्ट का 2010 का फैसला निरस्त कर दिया था। मामले में अन्य दोषियों में कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और पूर्व विधायक महेन्दर यादव तथा किशन खोखर शामिल हैं।

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