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केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बीते 5 सालों में 24 छात्रों ने की आत्महत्या, शिक्षा मंत्री प्रधान ने लोकसभा में दी जानकारी

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को उसके तहत आने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालयों से पिछले पांच वर्ष के दौरान छात्रों की आत्महत्या के 24 मामलों की जानकारी मिली है।

केंद्र की मोदी सरकार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को उसके तहत आने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालयों से पिछले पांच वर्ष के दौरान छात्रों की आत्महत्या के 24 मामलों की जानकारी मिली है। लोकसभा में दानिश अली के प्रश्न के लिखित उत्तर में शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यह जानकारी दी। अली ने पिछले पांच वर्षों में छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं तथा उत्तर प्रदेश के तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय में ऐसे मामलों के बारे में जानकारी मांगी थी।  
2017 से 2022 तक छात्रों की आत्महत्या के 24 मामलों की जानकारी 
प्रधान ने बताया, ‘‘ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सूचित किया है कि उसके दायरे में आने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने वर्ष 2017 से 2022 तक छात्रों की आत्महत्या के 24 मामलों की जानकारी दी है।’’ उन्होंने बताया कि छात्रों द्वारा आत्महत्या करने के कारणों का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यूजीसी ने आगे सूचित किया है कि तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद द्वारा नवंबर 2018 और अक्तूबर 2021 में छात्र आत्महत्या के दो मामलों के बारे में सूचना दी गई है। उक्त विश्वविद्यालय राज्य के निजी विश्वविद्यालय हैं।  
सरकार और यूजीसी ने छात्रों के उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए अनेक पहल की 
उन्होंने कहा कि भारत सरकार और यूजीसी ने छात्रों के उत्पीड़न और भेदभाव की घटनाओं को रोकने के लिए अनेक पहल की हैं। प्रधान ने कहा कि छात्रों के हितों की रक्षा के लिये ‘यूजीसी (छात्रों की शिकायत निवारण) विनियम 2019’ तैयार किये गए हैं। यूजीसी ने उच्च संस्थानों में रैगिंग की आशंका को रोकने के लिये यूजीसी विनियम 2009 भी अधिसूचित किए हैं और इसके कठोर अनुपालन के लिये परिपत्र जारी किए गए हैं।  
मंत्री ने बताया कि इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने शैक्षणिक तनाव को कम करने हेतु छात्रों के लिये सहायक पठन-पाठन, क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की शुरूआत जैसे कदम उठाए हैं। इसके साथ छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहयोग प्रदान करने के लिये मनोदर्पण कार्यक्रम शुरू किये गए हैं।

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