राज्यसभा में माकपा के एक सदस्य ने मंगलवार को कहा कि प्याज की आसमान छूती कीमतें लोगों को रुला रही हैं, जमाखोरी तथा कालाबाजारी करने वाले इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं लेकिन सरकार मूक दर्शक बनी हुई है। माकपा सदस्य के के रागेश ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश के कई हिस्सों में प्याज की कीमत 120 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है।
सरकार के एक बयान को उद्धृत करते हुए रागेश ने कहा कि गोदामों में 32,000 टन प्याज सड़ गया लेकिन इसे बाजार में नहीं निकाला गया। यह प्याज बाजार में आता तो कीमत इतनी अधिक नहीं बढ़ती। रागेश ने कहा कि हर साल अक्टूबर नवंबर में प्याज की कीमत बढ़ती है।
उन्होंने कहा, "सरकार को मांग में वृद्धि की जानकारी है लेकिन दुर्भाग्य से वह मूक दर्शक बनी हुई है।" उन्होंने कहा कि सरकार समय रहते प्याज खरीद सकती थी और बाजार में हस्तक्षेप कर सकती थी ताकि आम लोगों को राहत मिले। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब जमाखोरी तथा कालाबाजारी करने वाले इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं। रागेश ने सरकार से बाजार में तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया ताकि प्याज के दाम कम हो सकें तथा आम लोगों को राहत मिल सके।