पटना : मोदी की सरकार को चौथा साल बीत चुका है पांचवां साल में प्रवेश कर गया। भाजपा बिहार में सबसे ज्यादा सीट जीतकर केन्द्र में गये थे बिहार कोटे से केन्द्र में मंत्री भी हैं। सरकार के चार साल बीतने के बाद 100 एजेंडा दिल्ली में बनाया। मगर बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में केन्द्र सरकार का एजेंडा एक भी काम नहीं कर रहा है। सांसद और मंत्री को अपने क्षेत्र और दिल्ली से फुर्सत नहीं है कि जनता का कुछ काम करें। नरेन्द्र मोदी का आदर्श ग्राम योजना भी टाय-टाय फिस हो गया। आदर्श ग्राम योजना में शौचालय और पानी की व्यवस्था करनी थी लेकिन सभी फेलुअर हो गया। मोदी जी अब मात्र एक साल ही आपके पास बचा है।
आपके बनाये एजेंडों का लाभ अंतिम पायदान के लोगों को कब मिलेगा। दूसरी तरफ गरीबों को इंदिरा आवास पदाधिकारी को बिना प्रसाद चढ़ाये नहीं मिल रहा है जिन्हें इंदिरा अवास मिलना चाहिए उन्हें प्रसाद चढ़ाने के लिए पैसा नहीं है, घर कैसे बनेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नल-जल योजना भी भ्रस्टाचार का भेंट चढ़ गया। आज-कल के लोगों में इतना पैसा कमाने का इतना लालच आ गया है। आज भी 75 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों का है। अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपके योजनाओं का लाभ अंतिम पायदान के लोगों को नहीं मिला तो यह योजना किस काम का। योजनाओं का लाभ गरीबों को मिलना चाहिए या नहीं।
गरीब कब तक दो वक्त की रोटी में जीयेगा और पांच साल बाद दिल्ली और पटना की गद्दी तक पहुंचायेंगा। दिल्ली और पटना तक मंत्री, सरकारी पदाधिकारी सभी काम करें तो गरीबों को लाभ कब का मिल गया होता। अब तो आजादी के 50 साल हो गये। अब भी 70 पैसा दलित गरीब के घर तक पहुंच सका। इसका जवाब गरीब जनता मांग रहा है क्या वह अनपढ़ है कि उन्हें जवाब नहीं देगे और केवल शहर वालों को ही जवाब देंगे। मोदी जी आप तो जनता के बीच सांसद को सालाना इतना रुपया देते हैं।
अगर प्रत्येक वर्ष एक प्रखंड में शुद्घ पेयजल, शौचालय, सिवरेज को ठीक कर दे तो स्थिति और होती। दिल्ली में बैठ कर गरीबों के लिए विकास का एजेंडा तैयार करते हैं। मगर 50 साल में गरीबों के घर में आपका एजेंडा नहीं पहुंचे तो इसका आह से कांग्रेस और भाजपा बच नहीं सकता। धर्म, मजहब, जाति वर्ग चाहे कुछ भी हो लेकिन गरीब, अंतिम पायदान को रोटी, कपड़ा और मकान मिलना ही चाहिए। मानव सेवा से बड़ा कोई भी धर्म एवं मजहब नहीं। अब भी समय है गरीबों का विकास करने के लिए नहीं तो बिहार के गरीब इस बार संसद और केन्द्र सरकार को दो-दो हाथ करने को तैयार हैं।