भारत के बड़े मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को देखने के लिए लोगों में खासा उत्साह है और इसे लाइव देखने के लिए अब तक 7,134 लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है।
दरअसल 15 जुलाई को इसरो के शक्तिशाली रॉकेट ‘बाहुबली’ पर सवार होकर चंद्रयान-2 अपने मिशन पर निकलेगा, जिसे देखने के लिए लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं।
इसरो ने हाल ही में आम लोगों के लिए रॉकेट लॉचिंग प्रक्रिया को लाइव देखने की शुरुआत की है। लोग विशेष तौर पर बनाई गई एक गैलरी में बैठकर इसरो के लॉन्च देख सकते हैं।
इसमें कुल 10 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है, इसलिए इसरो की योजना है कि धीरे-धीरे दर्शकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। यह लॉन्चिंग देखने के लिए विभिन्न स्थानों के लोगों ने पंजीकरण कराया है।
रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-3 15 जुलाई को सुबह 2.51 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से उड़ान भरेगा।
इसरो ने आंध्र प्रदेश सरकार के परिवहन निगम से लोगों को परिवहन के लिए सुल्लुरुपेटा और रॉकेट बंदरगाह के बीच शटल सेवा चलाने के लिए कहा है।
अधिकारियों के मुताबिक, वहां पर कुछ स्नैक्स और अन्य चीजें खरीदने के लिए दुकानें होंगी और लांच की प्रक्रिया देखने के लिए एक बड़ी स्क्रीन भी होगी।
भारत का सबसे शक्तिशाली लॉन्चर चंद्रयान-2 को चंद्रमा मिशन पर ले जाएगा
भारत का अब तक का सबसे शक्ति शाली लॉन्चर रॉकेट -जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (जीएसएलवी एमके-3) 15 जुलाई को चंद्रयान-2 को अपने चंद्रमा मिशन पर ले जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, यह उपग्रहों के चार-टन वर्ग को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करने में सक्षम है।
जीएसएलवी एमके-3 का उपनाम ‘बाहुबली’ है, जिसे 15 जुलाई को सुबह 2.51 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 3.8 टन चंद्रयान-2 के साथ लॉन्च किया जाएगा।
अपनी उड़ान के लगभग 16 मिनट बाद 375 करोड़ रुपये का जीएसएलवी-मार्क 3 रॉकेट चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को कक्षा में रखेगा।
जहां इसरो के अधिकारी 640 टन वाले जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट को ‘मोटा लड़का’ कहते हैं, वहीं तेलुगु मीडिया ने इसे ‘बाहुबली’ का नाम दिया है, जो उस सफल फिल्म के नायक का नाम है, जिसने एक भारी लिंगम को उठाया था।
इसरो के अनुसार, चंद्रयान -2 को पृथ्वी की 170 गुणा 40400 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसे एक पृथ्वी पार्किं ग में 170 गुणा 40400 किलोमीटर कक्षा में इंजेक्ट किया जाएगा।
युक्तिचालन की एक श्रृंखला में चंद्रयान -2 को अपनी कक्षा में ऊपर उठाने और चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेपवक्र पर रखा जाएगा। चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश करने पर, ऑन-बोर्ड थ्रस्टर्स लूनार कैप्चर के लिए अंतरिक्ष यान को धीमा कर देगा।
चंद्रमा के चारों ओर चंद्रयान -2 की कक्षा को कक्षीय युक्तिचालन की एक श्रृंखला के माध्यम से 100 गुणा 100 किलोमीटर की कक्षा में प्रसारित किया जाएगा।
लैंडर – विक्रम अंतत: 6 सितंबर, 2019 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा।
टीम चंद्रयान-2 में 30 प्रतिशत महिला सदस्य
चंद्रयान-2 अभियान टीम में परियोजना निदेशक और मिशन निदेशक समेत करीब 30 प्रतिशत सदस्य महिलाएं हैं।
चंद्रयान-2 को सोमवार की सुबह लाँच किया जायेगा।
सूत्रों के मुताबिक परियोजना निदेशक एम वनिता एक इलेक्ट्रानिक सिस्टम इंजीनियर है। सुश्री वनिता प्रारंभ में इस ऐतिहासिक दायित्व को संभालने के लिए अनिच्छुक थी, लेकिन बाद में इसरो सेटेलाइट सेंटर डायरेक्टर एम अन्नादुरई के समझाने पर वह यह जिम्मेदारी लेने पर सहमत हुईं।
इसी प्रकार मिशन निदेशक रितु करिधल इंडियन इंस्टीट््यूट ऑफ साइंस बेंगलुरू से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त हैं। इसके अलावा अभियान से जुड़ सदस्यों में करीब 30 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है।
चंद्रयान-2 ‘एवेंजर्स एंडगेम’ से कम खर्चीला
विदेशी मीडिया ने भारत के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 को हॉलीवुड फिल्म ‘एवेंजर्स एंडगेम’ से कम खर्चीला बताया है।
विदेशी मीडिया और वैज्ञानिक जर्नलों में चंद्रयान-2 की लागत को हॉलीवुड फिल्म एवेंजर्स एंडगेम के बजट के आधे से भी कम बताया है।
भारत इस मिशन की सफलता के साथ अपने अंतरिक्ष अभियान में अमेरिका, रूस और चीन के समूह में आ जाएगा।
स्पूतनिक ने कहा, ‘चंद्रयान-2 की कुल लागत करीब 12.4 करोड़ डॉलर है जिसमें 3.1 करोड़ डॉलर लांच की लागत है और 9.3 करोड़ डॉलर उपग्रह की। यह लागत एवेंजर्स की लागत की आधी से भी कम है। इस फिल्म का अनुमानित बजट 35.6 करोड़ डॉलर है।’
‘चंद्रयान-2 रोबोटिक अंतरिक्ष खोज की दिशा में भारत का पहला कदम’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन ने शनिवार को कहा कि भारत का दूसरा मून मिशन चंद्रयान-2 रोबोटिक अंतिरिक्ष खोज की दिशा में देश का पहला कदम है और यह ज्यादा जटिल व पेचीदा है।
राधाकृष्णन इस समय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानुपर के बोर्ड ऑफ गवनर्स के चेयरमैन हैं।
उन्होंने कहा, ‘इंडियन लैंड रोवर (विक्रम प्रज्ञान) कंबाइन रोबोटिक अंतरिक्ष खोज की दिशा में भारत का पहला कदम है और यह मिशन की तैयारी जारी है। जाहिर हे कि यह मिशन ज्यादा जटिल है।’
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फोरमेशन टेक्नोलोजी डिजाइन एंड मैन्यूफैक्चरिंग (आईआईआईटीडीएम), कांचीपुरुम के सातवें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि चांद की कक्षा की परिक्रमा करने वाला विक्रम कं पास करीब 6,000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की परिक्रमा करते हुए खुद स्वत: अपनी रफ्तार को कम और ज्यादा करने की क्षमता होगी और यह चांद के अपरिचित क्षेत्र में सुरक्षित उतर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘यह पूरा कार्य 16 मिनट के भीतर होगा और उतरते समय यह खुद ही उतरने की जगह भी तय करेगा। पूरे देश की नजर इसकी ओर है।’
राधाकृष्णन 2009 में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख बने और प्रथम चंद्रयान मिशन के एक साल बाद 2014 तक इस पद पर बने रहे।
उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि से भारत की परिकल्पना, डिजाइन, विनिर्माण का करने और आरंभ से अंत तक की प्रक्रिया के आधार पर जलिट व अत्यंत उन्न प्रौद्योगिकी को काम में लाने की क्षमा प्रतिपादित होती है।