78th Independence Day : स्वतंत्रता दिवस पर Acharya Prashant ने आज़ाद भारत के लिए आध्यात्मिकता पर दिया जोर

78th Independence Day : स्वतंत्रता दिवस पर Acharya Prashant ने आज़ाद भारत के लिए आध्यात्मिकता पर दिया जोर
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78th Independence Day : भारत आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, लेकिन इस अवसर पर एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया गया है—क्या हमने बाहरी स्वतंत्रता के साथ-साथ आंतरिक बंधनों से भी मुक्ति पाई है? इस संदर्भ में, प्रसिद्ध वेदांत मर्मज्ञ और प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक आचार्य प्रशांत ने आध्यात्मिकता पर जोर देते हुए देशवासियों को आह्वान किया है कि सच्ची स्वतंत्रता तब तक अधूरी है जब तक भीतरी स्वतंत्रता हासिल नहीं होती।

78th Independence Day : Acharya Prashant ने आज़ाद भारत के लिए क्या कहा?

आचार्य प्रशांत ने भगवद्गीता का संदर्भ देते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के मैदान में भीतरी आजादी का मार्ग दिखाया था। साथ ही उन्होंने बताया कि भीतरी स्वतंत्रता केवल आध्यात्मिक ज्ञान से ही संभव है, और इसे समझे बिना व्यक्ति बाहरी बंधनों से मुक्त होकर भी आंतरिक बंधनों में फंसा रहता है।

आचार्य प्रशांत ने आध्यात्मिक दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनने से पहले उसकी आत्मिक परिभाषा को समझना होगा। जब तक भारतीयता का आधार अध्यात्म नहीं होगा, तब तक बाहरी निर्भरता से मुक्त होना कठिन होगा।

 78th Independence Day : आचार्य प्रशांत ने स्पष्ट किया कि आध्यात्मिकता का अर्थ परंपरावादिता या धार्मिक अनुभवों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह निर्मम सत्य की खोज है। इसको साथ ही उन्होंने गीता के ज्ञान का हवाला देते हुए कहा कि भीतरी स्वतंत्रता ही सच्ची स्वतंत्रता है और इसके बिना कोई भी राष्ट्र सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भर नहीं हो सकता।

78th Independence Day : इस स्वतंत्रता दिवस पर आचार्य प्रशांत ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आध्यात्मिक गहराई पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता की नींव तभी मजबूत हो सकती है जब उसकी बुनियाद में गीता का सत्य और श्रीकृष्ण का दर्शन हो।

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