लुधियाना-मानावाल : गुरू की नगरी अमृतसर के नजदीक गांव मानावाला में ब्रिटिश की संसद में सबसे छोटी उम्र और प्रथम दस्तार धारी सिख मैम्बर पार्लीमेंट स. तनमजीत सिंह ढेसी आज अपने अमृतसर भ्रमण के दौरान पिंगलवाड़ा में पहुंचे। पिंगलवाड़ा के मानावाल कैंपस में उनका स्वागत मुख्य सेवादार डॉ इंद्रजीत कौर ने किया। इस अवसर पर समूह ट्रस्टी सदस्य भी अन्य लोगों के साथ उपस्थित थे। स्मरण रहे कि पिछले दिनों कनाडा के रक्षामंत्री स. हरजीत सिंह सज्जन ने भी अपने पंजाब दौरे के दौरान पिंगलवाड़ा का दौरा किया था और पिंगलवाड़े द्वारा किए जा रहे सामाजिक और लोकभलाई के कार्यो की प्रशंसा करते हुए आर्थिक सहायता भी दी थी।
पंजाब दौरे पर आए तनम जीत सिंह ढेसी ने अपने गांव भ्रमण से पहले श्री हरिमंदिर साहिब में जाकर माथा टेका और सरवत के भले की अरदास भी की थी। अपने पंजाब दौरे के दौरान तनम जीत सिंह ढेसी ने अपनी सफलता का श्रेय परमात्मा की बख्शीश बताया। उन्होंने कहा कि वह लोगों की दुआओं और प्यार की बदौलत आज इस मुकाम पर पहुंचे है। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही उनका जन्म इंगलैंड की धरती पर हुआ परंतु अपने वतन के साथ उनकी हमेशा यादें जुड़ी है।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब में हासिल करने के अतिरिक्त बेहतर जिंदगी जीने का हुनर भी पंजाब की धरती से ही सीखा है। लंबा वक्त इंगलैंड में रहकर भी पंजाबी सभ्याचार विशेषकर सिखी के साथ जुड़े रहने वाले तनम जीत सिंह ढेसी ने कहा कि शुरू से ही पंजाब के अमीर विरसे और गौरवमयी सिख इतिहास का उनपर बहुत प्रभाव है और वह हमेशा उनकी प्ररेणा का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि आज जो कुछ भी मैं हूं, वह मेरी माता दलविंद्र कौर ढेसी और पिता जसपाल सिंह ढेसी की सोच से ही संभव हो सका है क्योंकि उनके चाहने से ही वह अपनी आरंभिक शिक्षा मातृभाषा में हासिल कर सकें है।
उल्लेखनीय है कि तनम जीत सिंह ढेसी को अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी के अलावा 8 भाषाओं की जानकारी है।
इसलिए उनके लिए चुनाव लडऩा काफी आसान था। उनके मुताबिक सलोह बेशक उनका जन्म स्थान है परंतु वहां दुनिया भर के अलगअलग देशों से अलगअलग नस्लों के लोग आकर रहते है। उनकी भाषा भी अलग थी परंतु वह इस मामले में काफी खुशकिस्मत रहें कि उनको कुछ भाषाओं का अच्छा ज्ञान होने के कारण वह लोगों में अपना बेहतर तालमेल बना सकें।
– सुनीलराय कामरेड