भाजपा ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) को ‘कट, कमीशन और भ्रष्टाचार’ की पार्टी करार दिया और कहा कि इसके नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को बहुत पहले तभी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए था जब भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए थे। उपमुख्यमंत्री सिसोदिया को सीबीआई ने 2021-22 के लिए अब रद्द की जा चुकी दिल्ली शराब नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में रविवार शाम को गिरफ्तार किया था। वहीं, जैन पिछले साल मई से धन शोधन के एक मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। दोनों मंत्रियों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।आम आदमी पार्टी (आप) और उसके राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल पर निशाना साधते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जिन लोगों ने ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के ध्वजवाहक’ होने का दावा किया था, उन्होंने ऐसा शासन सुनिश्चित किया जिससे दिल्ली में शराब पीने वालों की संख्या बढ़े।
किसी पार्टी का नाम लिए बिना प्रसाद ने कहा कि उन्हें लगता था कि कट और कमीशन केवल एक राजनीतिक दल की विरासत है। प्रसाद ने कहा, लेकिन आज, मैं कहना चाहूंगा कि थ्री सी यानी कट, कमीशन और करप्शन केजरीवाल की पार्टी के लिए भी लागू होता है। उन्होंने कहा कि आप नेताओं ने अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को बदनाम किया है। उन्होंने कहा, उन्हें पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। जैन और सिसोदिया को उसी समय इस्तीफा दे देना चाहिए था जब उनके खिलाफ आरोप सामने आए थे। दिल्ली में शराब घोटाला मामले को ‘भ्रष्टाचार का तय ‘टेक्स्ट बुक केस’ करार देते हुए प्रसाद ने कहा कि भाजपा इस मुद्दे को देश के हर कोने में उठाएगी। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक को कोई छूट देने से इनकार कर दिया।
प्रसाद ने कहा, ”यह स्पष्ट रूप से सिसोदिया की याचिका के गुण-दोष को इंगित करता है कि शीर्ष अदालत ने कोई राहत देने से इनकार कर दिया। इससे पहले,उच्चतम न्यायालय ने आबकारी नीति मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। सिसोदिया वर्तमान में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में हैं।प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा, ‘‘हम मौजूदा स्थिति में अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।’’ पीठ ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि घटना दिल्ली में हुई है, सिसोदिया सीधे शीर्ष अदालत में नहीं आ सकते हैं। पीठ ने कहा कि उनके पास संबंधित निचली अदालत के साथ-साथ दिल्ली उच्च न्यायालय के पास जाने के भी उपाय हैं।