नेपाली संसद में पास हुए विवादित नक्शे से जुड़े विधेयक को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट से केंद्र सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुशलता पर सवाल खड़ा होता है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से इस मामले पर कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को विश्वास में लेने और इसका समाधान करने को कहा।
सिंघवी ने कहा, ‘‘भारत एवं नेपाल के पुरातन और आधुनिक घनिष्ठ संबंधों की जो विरासत है, उस संदर्भ में ये गतिविधियां अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। कारण चाहे कुछ भी हों, चाहे चीन का गलत हस्तक्षेप हो, नेपाल की निजी आंतरिक राजनीतिक जरूरतें हों या दोनों देशों में संवादहीनता हो। लेकिन किसी को भी इस दयनीय स्थिति के लिए उपयुक्त कारण नहीं माना जा सकता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार और के पी ओली सरकार- दोनों के लिए तुरंत इसका हल निकालना अनिवार्य है।’’ सिंघवी ने दावा किया, ‘‘देशों के आपसी रिश्तों में पूर्वानुमान, अहंकार का अभाव और बिना विलंब के मूल मुद्दे का निदान करना अति आवश्यक होता है। यहां इन तीनों बातों का अभाव रहा है। ये क्षेत्र दशकों से भारत की सीमा के अंदर दर्शाए जाते रहे हैं, उनके विषय पर नेपाल में दशकों से कोई आपत्ति नहीं जताई गई। ऐसे में मैं नेपाल के इस कदम को बिल्कुल भी सही नहीं मानता।’’
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कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अहंकार और एक दूसरे पर जुमलों के जरिए विजय पाने की, कूटनीति में कोई जगह नहीं है। निश्चित रूप से संवादहीनता और धौंस जमाने की राजनीति दुष्प्रभाव पैदा करती हैं। लेकिन आज की स्थिति को हमें आज के संदर्भ में हल करना पड़ेगा न कि अतीत की ओर देखकर।’’
प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘भारत का कोई प्रधानमंत्री इतनी बार चीन की यात्रा पर नहीं गया जितनी बार वर्तमान प्रधानमंत्री गए हैं। न ही किसी प्रधानमंत्री ने महाबलीपुरम से लेकर अहमदाबाद तक तस्वीरें खिंचवाई। दुर्भाग्य है कि इतनी यात्राओं, वक्तव्यों, तस्वीरें खिंचवाने और वार्तालापों के बाद कुछ नहीं निकला। यह कहीं न कहीं इस सरकार और प्रधानमंत्री की कुशलता पर सवाल खड़े करता है।’’
अभिषेक मनु सिंघवी के मुताबिक पूरा देश और हम राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भारत सरकार और देश के साथ हैं। लेकिन अगर आप हमें राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखेंगे तो राष्ट्रहित पर दुष्प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को ऐसे मुद्दे पर विपक्ष को साथ लेने का प्रयास करना चाहिए ताकि राष्ट्रीय सहमति बने।
गौरतलब है कि नेपाली संसद के विशेष सत्र में नेपाल सरकार द्वारा देश के राजनीतिक नक्शे को संशोधित करने से संबंधित महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन विधेयक को पास कर दिया। संशोधित नक्शे में भारत की सीमा से लगे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाकों पर दावा किया गया है।