ब्रिक्स देशों की स्थिति पर तैयार की गई रिपोर्ट बताती है कि शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय के मामले में भारत कई ब्रिक्स राष्ट्रों से पीछे है। भारत इस रिपोर्ट में ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका सहित पांच देशों के समूह में सबसे नीचे है। रिपोर्ट से पता चलता है कि 2020 में भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 प्रतिशत सार्वजनिक व्यय शिक्षा पर खर्च किया है। शिक्षा पर खर्च किया जाने वाला यह सार्वजनिक व्यय ब्रिक्स के इन देशों में सबसे कम है। दक्षिण अफ्रीका ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का 6.9 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया है। शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय के मामले के मामले में दक्षिण अफ्रीका शीर्ष पर है।
चीन ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का 4.1 प्रतिशत सार्वजनिक व्यय शिक्षा पर खर्च किया है। ब्राजील अपने सकल घरेलू उत्पाद की 6.2 प्रतिशत राशि सार्वजनिक व्यय शिक्षा पर खर्च की है।इसके अलावा रुस ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत सार्वजनिक व्यय शिक्षा पर खर्च किया है। इनके अलावा भी भारत स्वास्थ्य, शिक्षा, शिशु सहित कई सामाजिक और आर्थिक मापदंडों पर ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) से पीछे है।
रिपोर्ट में देश में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर अस्पताल के बेड के आंकड़ों भी गंभीर तस्वीर दिखाते हैं। जहां भारत में प्रति 1000 व्यक्तियों पर 0.61 बिस्तर हैं, वहीं रूस प्रति 1,000 व्यक्तियों पर 8 बिस्तरों के साथ शीर्ष पर है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सकल घरेलू उत्पाद में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय का हिस्सा 1.8 फीसदी है। वहीं ब्राजील में यह 4 प्रतिशत, रूस में 4.6, चीन में 7.1 और दक्षिण अफ्रीका में 4.2 फीसदी है। रिपोर्ट ने भारत में उच्च शिशु मृत्यु दर को दिखाया गया है।
इसी तरह, भारत सड़क अवसंरचना की उपलब्धता के मामले में अपने अन्य समकक्षों से पीछे है। जहां भारत 313,000 किलोमीटर राजमार्गों के साथ सबसे नीचे है, वहीं चीन 5158,000 किलोमीटर राजमार्गों के साथ शीर्ष पर है। भारत ने 1945 अमेरिकी डॉलर की प्रति व्यक्ति जीडीपी में भी कम स्कोर किया। दूसरी ओर, चीन 10438 अमेरिकी डॉलर की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के साथ शीर्ष पर था।
गौरतलब है कि भारत द्वारा 13वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। ब्रिक्स शिक्षा मंत्रियों की इस 8वीं बैठक में इन देशों के शिक्षा मंत्रियों ने दो विषयों पर विचार-विमर्श किया। इनमें समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करने और अनुसंधान और अकादमिक सहयोग बढ़ाने के लिए डिजिटल और तकनीकी समाधानों का लाभ उठाना शामिल रह। बैठक की अध्यक्षता करते हुए भारत का कहना था कि भारत दुनिया भर में छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों, समुदायों और सरकारों द्वारा महामारी के प्रभावों को कम करने के लिए किए जा रहे ठोस प्रयासों को स्वीकार करता है। साथ ही एक अधिक लचीली शिक्षा प्रणाली का निर्माण करने की बात कही गई थी।