बुधवार को अडानी समूह ने घोषणा करते हुए कहा है की वह अपने एफपीओ (FPO) को रद्द कर रहा है। यह फैसला शेयरधारकों के हित में लिया गया है, ताकि उन्हें किसी संभावित नुकसान से बचाया जा सके। इसी बीच फोर्ब्स की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें खुलासा हुआ है कि गौतम अडानी खुद अपने एफपीओ में बड़ा दांव लगा रहे थे।
दरअसल अडानी इंटरप्राइजेज के एफपीओ के प्रबंधन के लिए जिन 10 कंपनियों को हायर किया गया था, उनमें से दो का जिक्र हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में किया गया है। अमेरिकी रिसर्च कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में इन दोनों कंपनियों पर अडानी ग्रुप को शेयरों में हेरफेर करने में मदद करने का आरोप लगाया है।
मोनार्क को गैर-संस्थागत मार्केटिंग का काम सौंपा गया था
इस बीच, हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि यह कंपनी भारतीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अडानी की “स्टॉक पार्किंग संस्थाओं” में से एक के रूप में काम करती है। लिहाजा एलारा कैपिटल को एफपीओ में ड्राफ्टिंग और अप्रूवल से जुड़ी जिम्मेदारी दी गई। जबकि, मोनार्क को निवेशकों के लिए गैर-संस्थागत मार्केटिंग का काम सौंपा गया था।
लंदन स्थित एक निवेश फर्म की सहायक कंपनी प्राइवेट लिमिटेड और एक भारतीय ब्रोकरेज फर्म मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल, अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा बिक्री के लिए उनके प्रस्ताव समझौते में 10 अंडरराइटरों में से दो थे। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों में कहा गया है कि एलारा कैपिटल के इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड के पास अडानी कंपनियों में $3 बिलियन के सार्वजनिक रूप से कारोबार वाले शेयर हैं। इसमें अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर भी शामिल हैं।
समूह के शेयर की कीमतों में लगभग 10% की गिरावट आई
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमतों में झटके लगे हैं। पिछले छह कारोबारी दिनों से शेयर की कीमतें लगातार गिर रही हैं। यह सिलसिला गुरुवार को भी जारी रहा। खुदरा निवेशकों ने अडाणी समूह के शेयरों की बिक्री शुरू कर दी है।
आज शुरुआती कारोबार में बीएसई पर समूह के शेयर की कीमतों में लगभग 10% की गिरावट आई। अदानी ग्रुप के लगभग सभी शेयर लोअर सर्किट से नीचे आ गए हैं। साथ ही अडानी को बॉन्ड बाजार में भी तगड़ा झटका लगा है। इसमें कंपनी के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट आई है।