ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका और सिरुम इंस्टिट्यूट द्वारा निर्मित कोरोना वैक्सीन का भारत में कोविशील्ड के नाम से उत्पादन हो रहा है। बता दें कि भारत कि कोविशील्ड वैक्सीन को अभी भी कई देशो में एंट्री नहीं मिली है, वहीं एसएसआई के सीईओ अदार पूनावाला ने ऐलान किया है कि उनकी कंपनी विदेशों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के लिए अनिवार्य क्वॉरंटीन सुविधा के लिए 10 करोड़ रुपये का फंड देगी।
अदार पूनावाला ने गुरुवार यानी आज सुबह ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘विदेश जाने वाले प्रिय छात्रों, चूंकि कुछ देशों में अभी भी कोविशील्ड टीका लेने वालों को क्वारंटीन के बिना सफर करने की मंजूरी नहीं मिली है, ऐसे में आपको कुछ खर्च उठाना पड़ सकता है। मैंने इसके लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। अगर आपको आर्थिक मदद की जरूरत है, तो आवेदन करें।’
बता दें कि सिर्फ यूके, अमेरिका और यूरोपिय संघ में टीके की दोनों खुराकें लेने वाले लोगों को ही क्वॉरंटीन के नियमों से छूट दी गई है। यानी अगर यात्री ने फाइजर, मॉडर्ना, एस्ट्राजेनेका या फिर जॉनसन एंड जॉनसन की कोविड वैक्सीन ली है तो उन्हें ब्रिटेन की यात्रा पर क्वॉरंटीन रहने की जरूरत नहीं है। कोविशील्ड विश्व स्वास्थ्य संगठन के इमरजेंसी यूज लिस्ट में है लेकिन अभी भी इसके यूरोपियन मेडिसीन एजेंसियों ने मान्यता नहीं दी है। मौजूदा समय में कोविशील्ड को 30 देशों ने मंजूरी दी है। भारत में लगने वाली दूसरी कोविड वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन है।
भारत कि दूसरी स्वदेश वैक्सीन कोवैक्सीन को भी अभी दुनियाभर में मंजूरी नहीं मिली है। कंपनी ने इसके लिए आवेदन किया है। हालांकि अब ब्रिटेन ने भारत को अपनी रेड लिस्ट से हटाकर एंबर लिस्ट में डालने का फैसला किया है लेकिन अभी वहां जाने वाले भारतीय यात्रियों को 10 दिन क्वारंटीन रहने की जरूरत है। हालांकि, जहां रेड लिस्ट में रहने की वजह से पहले इंस्टीट्यूशनल क्वॉरंटीन अनिवार्य था, वहीं एंबर लिस्ट में आने के बाद यात्री अपने घर या फिर मर्जी के किसी भी स्थान पर क्वॉरंटीन हो सकते हैं।