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राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए बोले शाह- पंचायत स्तर पर होगी सहकारी समितियां

सहकारिता एवं गृह मंत्री अमित शाह ने सहकारिता के माध्यम से कृषि ऋण के वितरण में गिरती प्रवृति पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार सहकारी समितियों का विस्तार पंचायत स्तर पर करने का हरसंभव प्रयास कर रही है।

एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह बोले.....

 शाह ने यहां ग्रामीण सहकारी बैंकों के राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष 1992 से लगातार सहकारिता के माध्यम से कृषि ऋण के वितरण में कमी आ रही है। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक- नाबार्ड की रिपोर्ट में भी इसकी चर्चा की गयी है। उन्होंने कहा कि देशभर में 13 करोड़ लोग पैक्स के सदस्य हैं और 65 हजार पैक्स अच्छे ढंग से काम कर रहे हैं। पैक्स के माध्यम से किसानों को दो लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण मिलता है जिसे बढाकर दस लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए।

 शाह ने पैक्स को सहकारिता की आत्मा बताते हुए कहा......

 मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सहकारिता मंत्री ने कहा कि ग्रामीण सहकारी बैंको से सीधे किसानों को अधिक से अधिक ऋण मिले इसके लिए योजना बनायी जा रही है। ग्रामीण सहकारी बैंकों से किसानों को मध्यम और लम्बी अवधि का ऋण मिले इसके लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देशभर में पैक्स का एक नियमावली हो इस दिशा में तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं और 15 दिनों के अंदर इस संबंध में निर्णय ले लिया जायेगा।

 शाह ने पैक्स को सहकारिता की आत्मा बताते हुए कहा कि इसके बिना कृषि ऋण व्यवस्था सही नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि देश में करीब तीन लाख ग्राम पंचायत हैं जिनमें से लगभग दो लाख पंचायतों में पैक्स का गठन किया जाना है। पैक्स के कामकाज में पारदर्शिता लाने और लोगों की कार्यक्षमता बढाने के लिए इनका कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है तथा सरकार ने इसके लिए 2500 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं।

सहकारिता के आयाम को व्यापक बनाया जा रहा - अमित शाह

 जानकारी के मुताबिक  उन्होंने कहा कि सहकारिता के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति का आर्थिक विकास किया जा सकता है। देशभर में साढे आठ लाख सहकारी संस्थाएं हैं तथा 34 राज्य सहकारी बैंकों के 2000 शाखाओं के माध्यम से कृषि ऋण का वितरण किया जाता है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में सहकारिता फला फूला, कुछ राज्यों में यह संघर्ष कर रहा है और कुछ राज्यों में यह किताबों तक सिमट कर रह गया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता के आयाम को व्यापक बनाया जा रहा है तथा इसके माध्यम से अब न केवल कृषि ऋण का वितरण किया जायेगा बल्कि गैस वितरण, जल वितरण, किसान उत्पादक संगठन, भंडारण तथा वितरण का कार्य भी किया जायेगा।

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