कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने पांच राज्यों में मिली चुनावी हार के बाद पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए। ‘घर की कांग्रेस’ की जगह ‘सब की कांग्रेस’ हो वाले बयान को लेकर सिब्बल अपनी ही पार्टी के सदस्यों के विरोध का सामना कर रहे हैं। पार्टी नेता और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सिब्बल को आड़े हाथों लिया। वहीं बीजेपी ने कहा कि सत्य को पचाने के लिए जिगर चाहिए।
अधीर रंजन ने बुधवार को बोलते हुए कहा कि, “उन्हें (कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल) उदाहरण पेश करना चाहिए कि वह कांग्रेस के समर्थन के बिना कुछ कर सकते हैं, अपनी विचारधारा के लिए अपने दम पर लड़ सकते हैं, नहीं तो एसी कमरे में बैठकर सिर्फ इंटरव्यू देने का क्या मतलब है?”
उन्होंने कहा, उन्हें (G-23) सत्ता से बाहर रहने की आदत नहीं है। इसलिए वे आलोचना करते हुए खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे नहीं पता कि उनका (कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल) जनाधार क्या है? दरअसल, सिब्बल कांग्रेस के असंतोष गुट G-23 का हिस्सा हैं, जो पार्टी को मजबूत करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की मांग करते आ रहे हैं।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि, “कपिल सिब्बल कहां के नेता हैं मुझे पता नहीं। कांग्रेस पार्टी के कारण उन्हें कई प्रगति मिली। जब यूपीए सरकार सत्ता में थी और वह मंत्री थे तो सब ठीक था, लेकिन अब जब यूपीए सत्ता में नहीं है तो उन्हें चीज़े खराब लग रही हैं।
सिब्बल भले ही एक अच्छे वकील, लेकिन कांग्रेस पार्टी के अच्छे नेता नहीं
मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सिब्बल के खिलाफ बोलते हुए कहा, कपिल सिब्बल भले ही एक अच्छे वकील हों लेकिन वह कांग्रेस पार्टी के अच्छे नेता नहीं हैं। वह कभी किसी गांव में कांग्रेस के लिए काम करने नहीं गए। वह जानबूझकर पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। सोनिया गांधी या कांग्रेस पार्टी को कोई कमजोर नहीं कर सकता।
सत्य को पचाने के लिए जिगर चाहिए
कांग्रेस में सामने आई इस कलह पर बीजेपी की भी प्रतिक्रिया सामने आई। कपिल सिब्बल के बयान पर बीजेपी प्रवक्ता एवं विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि सत्य बहुत कड़वा होता है। सत्य को पचाने के लिए जिगर चाहिए। प्रदेश के मुखिया अपने को बचाने के लिए उन्हें नकार रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का दोहरा चरित्र है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों से इस्तीफा मांग रही है, लेकिन प्रभारियों से इस्तीफा क्यों नहीं मांगे जा रहे हैं? अगर प्रभारियों से मांगेंगे भी तो केवल 4 से ही मांगेंगे। पांचवी प्रभारी तो गांधी परिवार से ही है जो इस्तीफा मांगने वालों में से है।